CAG: कैग ने पकड़ी राज्यों के साथ मोदी सरकार की धोखाधड़ी, जीएसटी सेस की रकम दूसरे मदों में डालने का हुआ खुलासा
GST Controversy: नियमों का हवाला देने वाली सरकार ने खुद तोड़े कानून, राज्यों को नहीं दिया पूरा जीएसटी कंपनसेशन

नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की रिपोर्ट को सच मानें तो मोदी सरकार ने जीएसटी कंपनसेशन के मामले में राज्यों सरकारों के साथ एक बड़ी धोखाधड़ी की है। दरअसल, केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन से हुए आर्थिक नुकसान का हवाला देकर राज्यों को दी जाने वाली जीएसटी कंपनसेशन की बकाया रकम रोक रखी है। सरकार का कहना है कि उसके पास राज्यों को देने के लिए पर्याप्त फंड नहीं हैं, क्योंकि लॉकडाउन के कारण जीएसटी सेस के तौर पर होने वाले कलेक्शन में भारी गिरावट आई है। इन हालात में मोदी सरकार राज्यों को अपना खर्च चलाने के लिए कर्ज लेने को मजबूर कर रही है। लेकिन अब लेकिन अब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट से कुछ और ही सच सामने आ रहा है। कैग की रिपोर्ट से पता चला है कि दरअसल मोदी सरकार जीएसटी सेस से मिले पैसों का बड़ा हिस्सा गैरकानूनी तरीके से दूसरे मदों में खर्च करती रही है। जबकि कानूनन इस रकम पर सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकारों का ही हक था।
दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते ही संसद में कहा था कि जीएसटी से जुड़ा कानून सरकार को जीएसटी कंपनसेशन देने के लिए कंसॉलिडिटेड फंड ऑफ इंडिया (CFI) की रकम इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देता। यह रकम तो सिर्फ जीएसटी सेस से मिले फंड से ही दी जा सकती है। लेकिन अब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि केंद्र सरकार खुद इस कानून की अनदेखी करते हुए जीएसटी सेस के जरिये जमा रकम कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया में डालकर दूसरे मदों में खर्च करती रही है। हम आपको बता दें कि जीएसटी सेस के जरिए जमा हुई रकम का इस्तेमाल सरकार सिर्फ राज्यों को जीएसटी लागू करने से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए ही कर सकती है। इस रकम का दूसरे मदों में इस्तेमाल करना जीएसटी एक्ट के खिलाफ है।
₹47272 crores that should have rightfully be used for GST compensation to states has been diverted by GOI.This is breach of trust&goes against the spirit of GST laws as well as the states faith in the central govt to honor its commitment. Now asking states to borrow is criminal. https://t.co/RZwDu5FyAb
— Priyanka Chaturvedi (@priyankac19) September 25, 2020
कैग ने अपनी जांच में पाया है कि सरकार ने साल 2017-18 और 2018-19 के दौरान जीएसटी सेस से मिली 47,272 करोड़ रुपये की रकम को सीएफआई में रखकर कानून का उल्लंघन किया है। जीएसटी सेस से मिली रकम को सीएफआई में रखे जाने से सरकार की बैलेंस शीट में टैक्स से हुई आय बढ़ी हुई नज़र आई और राजकोषीय घाटा कम दिखा। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'स्टेटमेंट 8,9 और 13 के ऑडिट परीक्षण से पता चलता है कि जीएसटी कंपनसेशन सेस के कलेक्शन की मद में कम फंड जमा हुए।' यह जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर एक्ट 2017 के नियमों का उल्लंघन है।
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बता दें कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर एक्ट 2017 के प्रावधानों के मुताबिक पूरे साल के दौरान जुटाई गई सेस की रकम जीएसटी कंपेनसेशन फंड में जमा करना जरूरी होता है। इस रकम का इस्तेमाल सिर्फ राज्यों को जीएसटी लागू होने की वजह से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए ही किया जा सकता है। लेकिन केंद्र सरकार ने कुल जीएसटी सेस को जीएसटी कंपेनसेशन फंड में ट्रांसफर करने की बजाय इसे CFI में रख दिया। बाद में इसका इस्तेमाल किसी अन्य काम के लिए किया गया।
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कैग की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में 90 हजार करोड़ रुपए दिए जाने थे। इस साल जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस के जरिये 95,081 करोड़ रुपए जमा हुए थे। लेकिन वित्त मंत्रालय ने इसमें से केवल 54,275 करोड़ रुपये ही क्षतिपूर्ति फंड में ट्रांसफर किए। इस फंड में 15 हजार करोड़ रुपये पहले से जमा थे, जिसे मिलाकर केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 69,275 करोड़ रुपये ही दिए।