Farmers Suicide: सरकार को नहीं पता खुदकुशी क्यों करते हैं किसान, राज्यसभा में दिया दो टूक जवाब

2015 में हुआ था केंद्रीय मंत्री के जवाब पर विवाद, 2016 से नहीं बताई गई खुदकुशी की वजह

Updated: Sep 21, 2020, 11:15 PM IST

Photo Courtsey : Indiatimes
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मोदी सरकार का कहना है कि देश भर में हज़ारों किसान खुदकुशी क्यों करते हैं, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया जा सकता। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक ऐसा करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। ये बात केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में कही है। सरकार का कहना है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिली जानकारी के मुताबिक कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से किसानों की खुदकुशी और उसके कारणों का पूरा ब्योरा नहीं मिल रहा है। सरकार के मुताबिक कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अन्य व्यवसायों से जुड़े लोगों की खुदकुशी के ब्योरे तो दिए हैं, लेकिन खेती-किसानी करने वालों की खुदकुशी के आंकड़े “शून्य” बताए हैं। इन हालात में खेती-बाड़ी में लगे लोगों के आत्महत्या करने की वजहों के आंकड़े अलग से देना मुमकिन नहीं है। 

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की अब तक उपलब्ध सबसे ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 के दौरान देश में खेती-बाड़ी से जुड़े 10 हज़ार 281 नागरिकों ने आत्महत्या की थी, इनमें 5,957 किसान और 4,324 खेतिहर मजदूर शामिल हैं। लेकिन ये किसान-मज़दूर किन वजहों से अपनी जान लेने को मजबूर हो गए, इस बारे में यह रिपोर्ट खामोश है। 

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हम आपको बता दें कि मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से ही किसानों की खुदकुशी और उसके कारणों के आंकड़ों को लेकर समय-समय पर विवाद होता रहा है। जुलाई 2015 में मोदी सरकार के तत्कालीन कृषि मंत्री ने किसानों की खुदकुशी के कारणों के बारे में पूछे जाने पर कहा था कि किसान सिर्फ गरीबी और कर्ज के बोझ की वजह से ही नहीं, प्रेम प्रसंगों, नपुंसकता और नशे की लत जैसी वजहों से भी खुदकुशी करते हैं। राधा मोहन सिंह के इस बयान से बीजेपी की काफी किरकिरी हुई थी। 

इसके बाद से अब तक मोदी सरकार के कार्यकाल में जारी किसानों की खुदकुशी के बारे में जारी किसी भी रिपोर्ट में इसकी वजह नहीं बताई गई। भारत में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की तरफ से ये आंकड़े हर साल जारी करने की परपंरा रही है। लेकिन 2015 के बाद ये आंकड़े हमेशा देरी से जारी हुए। 2015 के बाद 2018 तक तो सरकार ने किसानों की खुदकुशी पर कोई रिपोर्ट जारी ही नहीं की। साल 2016 की रिपोर्ट तीन साल की देरी से अक्टूबर 2019 में जारी हुई, लेकिन उस रिपोर्ट में भी किसानों की आत्महत्याओं की वजह नहीं बताई गई थी। 2017, 2018 और 2019 की रिपोर्ट्स भी देर से ही जारी की गईं। लेकिन इनमें से किसी भी रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया कि आखिर देश के किसान खुदकुशी करने को मजबूर क्यों हो रहे हैं?