FB-BJP Nexus: व्हाट्सएप-बीजेपी गठजोड़ खुलासे के बाद जुकरबर्ग को पत्र

Facebook Hate Speech Policy: टाइम मैगज़ीन ने किया बीजेपी और व्हाट्सएप की सांठगांठ का खुलासा, फायदे के लिए बैन नहीं की बीजेपी की हेट स्पीच

Updated: Aug 30, 2020, 08:15 AM IST

Photo Courtesy: Swaraj Express
Photo Courtesy: Swaraj Express

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर फेसबुक द्वारा पक्षपात करने के संबंध में कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखा है। पार्टी ने पत्र में पूछा है कि उसने बीजेपी को किए जा रहे वृहद पक्षपातों के आरोपों के लेकर क्या कदम उठाए हैं। पार्टी ने अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पूरे मामले में फिर से जेपीसी जांच की मांग की है। 

कांग्रेस ने जुकरबर्ग को दूसरा पत्र तब लिखा है, जब अमेरिकी पत्रिका ने यह खुलासा किया कि फेसबुक की ही तरह व्हाट्सएप ने भी अपने फायदे के लिए बीजेपी से जुड़ी हेट स्पीच और फेक न्यूज पर कार्रवाई नहीं की। पत्रिका ने बताया कि व्हाट्सएप खुद को भारतीय बाजार में डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म के रूप में खड़ा करना चाहता है, इसलिए उसने बीजेपी की हेट स्पीच पर कोई कार्रवाई नहीं की। 

Click: Hate Speech: व्हाट्सएप भी धंधे के लिए बैन नहीं करता बीजेपी की हेट स्पीच

रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 2016 में व्हाट्सएप ने खुद को डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म के रूप में खड़ा करने की कोशिश की थी लेकिन तब केंद्र सरकार ने नेट न्यूट्रैलिटी का हवाला देकर ऐसा नहीं होने नहीं दिया। इसके बाद कंपनी ने शिवनाथ ठुकराल को अपना पॉलिसी हेड बनाया, जिनकी करीबी केंद्र सरकार के लोगों से है। 

पत्रिका ने बताया कि ठुकराल ने 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए फेसबुक कैंपेन की जिम्मेदारी संभाली थी। इसलिए केंद्र सरकार की लॉबिंग करने के लिए उन्हें पॉलिसी हेड बनाया गया। साथ ही फेसबुक ने नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले मुकेश अंबानी के रिलायंस जियो में 5.7 अरब डॉलर की कीमत पर 10 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की भी घोषणा की। साथ ही व्हाट्सएप ने बीजेपी से जु़ड़ी हेट स्पीच पर कोई कार्रवाई नहीं की ताकि वह केंद्र सरकार की नजरों में ना खटके। 

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि गौरक्षकों द्वारा फेसबुक पर फैलाई गई अफवाहों के कारण मुसलमानों और दलितों की लिचिंग हुई और फिर इन लिंचिंग के वीडियो और घृणा का माहौल बनाया गया। इस पूरी रिपोर्ट पर ना तो बीजेपी की तरफ से और ना ही फेसबुक की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आई है। यह पूरा मामला तब शुरू हुआ था जब 14 अगस्त को अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे फेसबुक की इंडिया पॉलिसी हेड अंखी दास ने बिजनेस कारणों का हवाला देकर बीजेपी से जुड़े व्यक्तियों और समूहों की हेट स्पीच और हिंसा उकसाने वाली पोस्ट पर कार्रवाई नहीं की, जबकि फेसबुक की आंतरिक टीम ने इसकी अनुशंसा की थी।