पूर्वजों का गुणगान करना सिंधिया को पड़ा भरी, कांग्रेस नेत्री बोलीं- 1857 की क्रांति में आपके पूर्वज कहाँ थे

सन 1857 में आजादी की पहली लड़ाई के दौरान इतिहास में सिंधिया राजवंश की भूमिका एक गद्दार के रूप में दर्ज है।

Updated: Feb 11, 2023, 02:26 PM IST

नई दिल्ली। सन 1857 में आजादी की पहली लड़ाई के दौरान इतिहास में सिंधिया राजवंश की भूमिका एक गद्दार के रूप में दर्ज है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जिक्र आते ही सिंधिया घराने के लोग चुप्पी साध लेते हैं। हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में जाने के बाद अब गद्दारी का दाग धोने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं। इसी कड़ी में जब उन्होंने अपने पूर्वजों का गुणगान शुरू किया तो कांग्रेस नेत्री ने पूछा कि 1857 की क्रांति में आपके पूर्वज कहाँ थे?

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को अपने पूर्वजों का गुणगान करते हुए ट्विटर पर पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था, "आज के दिन 1771 में, दिल्ली जीतकर हिंदुस्तान की अखण्डता की रक्षा करने के लिए, मेरे पूर्वज और प्रेरणास्त्रोत, 'द ग्रेट मराठा' कहे जाने वाले, पाटिलबुवा महाराजा महादजी सिंधिया को इतिहास में दूरदर्शी राजनेता का सम्मान दिया गया। उनके महान शौर्य और बलिदान को कोटि कोटि नमन।"

हालांकि, उन्हें पूर्वजों का गुणगान करना तब भारी पड़ गया जब कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने उनकी पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए पूछा था कि 1857 में पूर्वज कहां थे। इसके बाद ट्विटर यूजर्स सिंधिया को ट्रोल करने लगे। सुप्रिया श्रीनेत के सवाल पर सिंधिया भड़क उठे और उन्हें ठीक से इतिहास पढ़ने की नसीहत दी।

सिंधिया ने श्रीनेत को रिप्लाई करते हुए लिखा, "सुप्रिया जी कविताएँ कम और इतिहास ज़्यादा पढ़ें। सिंधिया परिवार के योगदान के बारे में 1857 के महान क्रांतिकारी तात्या टोपे के वंशज पराग टोपे ने अपनी किताब “Operation Red Lotus” में विस्तार से लिखा है, एक बार पढ़ने का कष्ट करें।"

बता दें कि सिंधिया को खुद शिवराज कई मौकों पर गद्दार का वंशज कह चुके हैं। मुख्यमंत्री कई सार्वजनिक सभाओं में सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित इस कविता का पाठ कर चुके हैं कि "अँग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।"