कार्यसमिति के फ़ैसले के बाद भी नहीं लगा कांग्रेस नेतृत्व विवाद पर विराम

Leadership Issue in Congress: कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक खत्म कर गुलाम नबी आज़ाद के घर फिर जमी बैठक, पत्र लिखनेवाले नेताओं ने कहा देशहित में लिखा पत्र, इतिहास हमेशा बहादुरों को याद रखता है

Updated: Aug 26, 2020, 05:31 AM IST

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नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक ख़त्म होने के बाद सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर नेतृत्व में बदलाव करने की मांग करने वाले नेता देर रात गुलाम नबी आज़ाद के घर बैठक करने पहुंचे थे। बैठक में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरुर समेत कुल 9 नेता आज़ाद के आवास पर चर्चा करने पहुंचे थे। सोनिया को लिखे पत्र में हस्ताक्षर करने वाले आनंद शर्मा ने बताया है कि सोमवार को लगभग 7 घंटे चली बैठक में क्या हुआ यही जानने की जिज्ञासा से सभी नेता आज़ाद के आवास पहुंचे थे।     

कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में गहमागहमी के बाद आखिरकार सोनिया गाँधी को अगले 6 महीने के लिए अध्यक्ष चुन लिया गया है। नया अध्यक्ष मिलने तक सोनिया ही पार्टी की बागडोर संभालेंगी। लेकिन निर्णय के 24 घंटे बीतने को हैं और अब तक यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि सोनिया को पत्र लिखने वाले सभी नेता संतुष्ट हैं।    

हालांकि आनंद शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को यह बताया ज़रूर है कि हमारे पत्र से यह बात स्पष्ट है कि पत्र लिखने वाले तमाम नेता इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि गांधी-नेहरू परिवार हमेशा ही कांग्रेस के सामूहिक नेतृत्व का हिस्सा होगा। लेकिन शर्मा का यह कहना भर, इस विमर्श पर विराम लगाने के काबिल नहीं है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।   

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कांग्रेस में सब कुछ ठीक न होने का सबसे बड़ा कारण कार्यसमिति की बैठक में राहुल गाँधी की टीम को बताया जा रहा है। कार्यसमिति की बैठक के दौरान मीडिया में यह ख़बरें लीक हुईं कि राहुल गांधी ने सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं को बीजेपी के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाया था। कपिल सिब्बल ने यह जानकारी मिलते ही कि राहुल गाँधी ने बीजेपी के साथ मिलीभगत करने के आरोप लगाए हैं, ट्विटर पर बगावती रुख अपना लिया। खबरें तो यहां तक आईं कि गुलाम नबी आज़ाद ने इस्तीफे तक की पेशकश कर दी। लेकिन जब इसकी जानकारी राहुल गाँधी तक पहुंची, तब सिब्बल के अनुसार राहुल ने उनसे संपर्क कर बताया कि उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है। मीटिंग ख़त्म होने के बाद आज़ाद ने भी अपने इस्तीफे पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि मीटिंग में राहुल ने बीजेपी से सांठगांठ का कोई आरोप नहीं लगाया।   

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हालांकि कार्यसमिति की मीटिंग से यह बात स्पष्ट है कि राहुल ने नेताओं द्वारा पत्र लिखने के समय पर आपत्ति ज़रुर जताई थी। राहुल ने ऐसे वक्त में जब सोनिया गाँधी बीमार चल रही थीं, नेताओं द्वारा लिखे पत्र को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मीटिंग के दौरान और उसके अंत में यह बात कही कि नेताओं को अपनी किसी भी शिकायत को सार्वजनिक करने के बनिस्बत पार्टी फोरम पर रखना चाहिए।  

मीटिंग ख़त्म होने के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे थे, कि पत्र लिखने वाले तमाम नेताओं ने पार्टी नेतृत्व से अपने तमाम गिले शिकवे दूर कर लिए हैं। लेकिन पहले नेताओं का देर रात आज़ाद के आवास पर पहुंचना और अब कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियां इस बात की गवाही दे रही हैं कि कांग्रेस नेताओं में एक बेचैनी का भाव है।

 

25 अगस्त की सुबह कपिल सिब्बल ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि उनके लिए कोई 'पद' मायने नहीं रखता बल्कि देश उनके लिए सर्वोपरि है। तो वहीं सोनिया को लिखे गए पत्र में हस्ताक्षर करने वाले एक अन्य नेता विवेक तन्खा ने ट्वीट किया है कि 'दोस्तों हम असंतुष्ट नहीं हैं, बल्कि पुनरुद्धार के समर्थक हैं। पत्र पार्टी नेतृत्व को चुनौती देने के लिए नहीं बल्कि पार्टी को मज़बूती प्रदान करने के उद्देश्य से पत्र लिखा गया था। इतिहास हमेशा बहादुरों को याद रखता है, डरपोकों को नहीं।' 

ज़ाहिर है कांग्रेस कार्यमिति के बाद भी नेताओं के रुख में आश्वस्ति नहीं है। सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष बना जरूर दी गई हैं। लेकिन सभी को इंतज़ार उस अगले अधिवेशन का है, जहां एक सक्रिय और सशक्त कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। पत्र लिखनेवाले नेताओं की भी यही मांग रही है कि कांग्रेस को सक्रिय और सशक्त नेतृत्व मिले।