ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में संक्रमण को काबू करने के लिए सरकार ने जारी की नई गाइडलाइंस

आशा वर्कर्स करेंगे जुकाम-बुखार की मॉनिटरिंग, रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए सभी को दिया जाए ट्रेनिंग, हर गांव में उपलब्ध हो पर्याप्त पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर

Updated: May 16, 2021, 01:14 PM IST

Photo Courtesy: India Today
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नई दिल्ली। देश के बड़े शहरों में कहर बरपाने के बाद अब कोरोना वायरस ने ग्रामीण इलाकों में भी पांव पसार लिया है। कई राज्यों से खबरें आ रही है कि गांव के गांव सर्दी जुकाम से पीड़ित हैं। ग्रामीण इलाकों में हालात बेकाबू होता देख अब केंद्र सरकार ने नए गाइडलाइंस जारी कर दिए हैं। नए दिशानिर्देश के मुताबिक जुकाम-बुखार की मॉनिटरिंग के लिए आशा कार्यकर्ताओं को तैनात किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा जारी नए दिशानिर्देश अर्ध-शहरी, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों के लिए हैं।

नए दिशानिर्देश के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में CHO या ANM, मल्टी पर्पस हेल्थ वर्कर (पुरुष) नोडल पर्सन होंगे और उन्हें आशा वर्कर्स सहयोग करेंगी। इन्हें रैपिड एंटीजन टेस्टिंग समेत कई तरह की ट्रेनिंग देने की बात कही गई है। केंद्र द्वारा इस संबंध में जारी विस्तृत गाइडलाइंस इस प्रकार हैं:-

1. प्रत्येक गांव में जुकाम-बुखार के लक्षण वाले मरीजों की निगरानी आशा वर्कर्स करें, गांव में यदि किसी को कोरोना के लक्षण हो तो उन्हें तत्काल कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर फोन कंसल्टेशन दें

2. पूर्व से गंभीर बीमारियों से पीड़ित और लो सेचुरेशन वाले मरीजों को इलाज के लिए बड़े स्वास्थ्य संस्थानों में रेफर किया जाए

3. हर स्वास्थ्य और उपस्वास्थ्य केंद्र में रैपिड एंटीजन किट की व्यवस्था की जाए, साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों और एएनएम सभी को टेस्टिंग की ट्रेनिंग दी जाए

4. ग्रामीण क्षेत्रो में ऑक्सीजन लेवल व बुखार नापने के लिए प्लस ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की उपलब्धता की पर्याप्त व्यवस्था की जाए, इस दौरान किसी भी मरीज का SP02 लेवल 94 से नीचे हो तो उन्हें तत्काल ऑक्सीजन बेड दिया जाए

5. जिन मरीजों को कोरोना के सिम्पटम्स न हो उनका होम आइसोलेशन 10 दिन में खत्म होगा, अथवा लगातार तीन दिन बुखार न आने पर आइसोलेशन खत्म कर सकेंगे, इसके बाद दुबारा टेस्ट करने की जरूरत नहीं है

6. कोरोना पॉजिटिव लोगों के लिए होम आइसोलेशन किट मुहैया करवाई जाए जिसमें पैरासीटामॉल 500mg, आइवरमेक्टीन टैबलेट, कफ सिरप और मल्टीविटामिन को शामिल किया। इसके अलावा आइसोलेशन में किन सावधानियों का पालन करना है उसकी लिखित जानकारी दी जाए।

7. सभी मरीजों को एक कॉन्टैक्ट नंबर भी दिया जाए, जिस पर स्थिति बिगड़ने या सुधरने या फिर डिस्चार्ज के संबंध में लोग जानकारी ले सकें, साथ ही मरीजों की स्थिति पता करने के लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स, स्वयंसेवी और शिक्षक दौरा करें

8. ट्राइबल इलाकों में मोबाइल मेडिकल यूनिट का इंतजाम किया जाए, जिन्हें डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर और डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल से जोड़ा जाए, इसके लिए एनजीओ की भी मदद ली जा सकती है।