कोरोना में सरकारी आंकड़ों से 8 गुना ज्यादा मौतें हुईं, 2020 में भारत में 12 लाख लोगों ने दम तोड़ा: रिपोर्ट

कोरोना का असर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में देखा गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक तरफ पुरुषों की औसत जीवन दर 2.1 साल जबकि महिलाओं की 3 साल कम हुई।

Updated: Jul 21, 2024, 03:46 PM IST

नई दिल्ली। भारत में साल 2020 के शुरुआती महीनों में कोरोना वायरस ने दस्तक दिया था और उसके बाद देश में जो मौत ने तांडव मचाया उसे नहीं भुला जा सकता। अंतराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मीडिया संस्थान अलजजीरा ने एक स्टडी रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि भारत में कोरोना से हुई वास्तविक मौत 8 गुना अधिक है।

अलजजीरा ने 10 बड़े डेमोग्राफर्स (जनसंख्या की स्टडी करने वाले) और इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के हवाले से ये दावा किया है। इसमें बताया गया है कि 2020 में भारत में कोरोना के कारण हुई मौतें सरकारी आंकड़ों से 8 गुना ज्यादा थीं।

भारत सरकार के मुताबिक, 2020 में कोरोना से करीब 1 लाख 48 हजार लोगों की मौत हुईं थीं। जबकि नई रिपोर्ट के मुताबिक असल संख्या 12 लाख थी। ये आंकड़ा साइंस एडवांस पब्लिकेशन ने 19 जुलाई की रिपोर्ट में छापा है, जिसे भारत सरकार के 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के आधार पर तैयार किया गया है।

रिपोर्ट में दिए आंकड़े WHO के आंकड़ों से भी डेढ़ गुना ज्यादा हैं। रिसर्च के मुताबिक, 2020 में उच्च-जाति के हिंदुओं की औसत जीवन दर में 1.3 साल की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, अनुसूचित जाति के लोगों की औसत जीवन दर में 2.7 साल की गिरावट आई। इसके अलावा भारत के मुस्लिम नागरिकों की जीवन दर पहले की तुलना में 5.4 साल घट गई।

कोरोना का असर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में देखा गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक तरफ पुरुषों की औसत जीवन दर 2.1 साल जबकि महिलाओं की 3 साल कम हुई। पूरी दुनिया के आंकड़े देखें तो पुरुषों की जीवन दर में महिलाओं की तुलना में ज्यादा गिरावट आई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में कोरोना के पहले फेज और 2021 में डेल्टा वेव के साथ आए दूसरे फेज के बाद देश में महामारी की वजह से 4.81 लाख लोगों की मौत हुई। WHO ने अपनी रिपोर्ट में इन आंकड़ों को गलत बताते हुए दावा किया कि भारत में असल में 20-65 लाख लोगों की मौत हुई थी, जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा थी।