स्टार्टअप कंपनियों का एंड अप

कंपनियों का वादा खोखला साबित हुआ कि कर्मचारियों को नौकरी की चिंता करने की जरूरत नहीं है।

Publish: Apr 26, 2020, 11:36 PM IST

कोविड 19 प्रकोप के कारण देश मे लागू लॉक डाउन के बीच भारत मे स्टार्टअप कंपनियां अपना काम समेटने की दिशा में काम करने लगी हैं, जिससे इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों में निराशा घर करने लगी है। नौकरी से नहीं हटाये जाने का वादा करने के बावजूद कुछ लोगों को बर्खास्त कर दिया गया है।

ऐसे ही एक कंपनी में कार्यरत कर्मचारी अशोक कुमार मेहता ने बताया कि हाल में हुई मीटिंग में सामाजिक वाणिज्यिक कंपनी मीशो के सीईओ ने कहा था कि कर्मचारियों को अपनी नौकरी की चिंता करने की जरूरत नहीं है, पर उनका ये वादा खोखला साबित हुआ। अपनी लिंक्डइन पोस्ट में मेहता ने कहा है कि सीईओ के वादे के बाद भी अचानक कर्मचारियों को फोन आने लगे और प्रबंधन ने इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया।

इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए कंपनी के कर्मचारियों ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में मीशो ने लागत में कटौती का हवाला देकर करीब 150 कर्मचारियों को निकाल दिया। कर्मचारियों को आश्चर्य इसलिए हुआ क्योंकि हाल ही में कंपनी ने कहा था कि उसके पास 20 महीनों तक कंपनी चलाने के लिए पर्याप्त धन है।

यही नहीं पिछले 4 हफ्तों में कम से कम दो दर्जन शीर्ष कंपनियों ने अपने नियमित और अनुबंधित कर्मचारियों को नौकरी से निकला है। इनमें आयो, ब्लैकबक, भारत पे, एको, फैब होटल्स, जोलो स्टे, ट्रेबो , उड़ान और होम लेन शामिल हैं।

बिग जॉब्स के आंकड़ों के अनुसार बाउंस, एग्रो स्टार, बुक माई शो, लिव स्पेस और ड्रम जैसी कंपनियों ने अपने लोगों के वेतन में कटौती की है। ये वेतन कटौती 15 फीसदी से 70 फीसदी तक है।

एक तरफ सरकार लगातार कंपनियों से आग्रह कर रही है कि वे आर्थिक संकट से निपटने के लिए छंटनी और कटौती से बचें, पर देश की अर्थव्यवस्था की हालत देखते हुए कंपनियां अपने खर्चों में कटौती का मार्ग अपना रही हैं। जिसका परिणाम है कि लोगों की नौकरियों पर संकट गहराता जा रहा है।