CWC ने संविधान को कमजोर किए जाने पर जताई चिंता, आर्थिक-सामाजिक स्थिति पर केंद्र की आलोचना

कांग्रेस ने आज कर्नाटक के ऐतिहासिक बेलगावी में अपनी कार्यमसमिति की बैठक की। इस बैठक में 5 अहम फैसले लिए गए, जिनमें दो प्रस्ताव पारित किए गए। प्रस्तावों में देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर चिंता जताते हुए केंद्र की आलोचना की गई।

Updated: Dec 26, 2024, 10:26 PM IST

बेलगावी। कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस पार्टी की दो दिवसीय अधिवेशन (नव सत्याग्रह) का आज पहला दिन था। यह अधिवेशन 1924 में हुए कांग्रेस के 39वें अधिवेशन के 100 साल पूरे होने के मौके पर रखा गया है। सन 1924 में भी 26 और 27 दिसंबर को बेलगावी में कांग्रेस का दो दिवसीय अधिवेशन हुआ था। यह पहला और आखिरी अधिवेशन था जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी और इसी अधिवेशन में उन्हें पार्टी अध्यक्ष भी चुना गया था। इसी मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में आज CWC की बैठक आयोजित की गई।

कांग्रेस कार्यसमिति की विशेष बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए हैं। इन प्रस्तावों में बीजेपी द्वारा बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किए जाने, संविधान की अवहेलना, किसानों की अनदेखी, चीन के साथ सीमा विवाद और आम नागरिकों के जीवन में उथल पुथल मचाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की गई है।

ऐतिहासिक बेलगावी में पहले दिन की बैठक के बाद पारित प्रस्तावों की शुरुआत में कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब हम संविधान अपनाने के 75वां वर्ष मना रहे हैं, उसी समय संविधान पर सबसे बड़ा खतरा मंडराने लगा है। प्रस्ताव में जवाहर लाल नेहरू के उस कथन का जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था, “इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि डॉ आंबेडकर ने जितना श्रम संविधान के लिए किया है उतना शायद ही किसी ने किया होगा।“ प्रस्ताव में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब पर की गई टिप्पणी के संदर्भ मे कहा गया है कि अमित शाह की टिप्पणी आरएसएस-बीजेपी के कई दशकों से जारी उस प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसमें संविधान की अवहेलना की जाती रही है। कांग्रेस कार्यसमिति ने इस टिप्पणी के लिए अमित शाह के इस्तीफे और देश से माफी की मांग को फिर से दोहराया है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने लोकतंत्र को लगातार कमजोर किए जाने पर गहरी चिंता जाहिर की है। प्रस्ताव में कहा गया है कि न्यायपालिका, चुनाव आयोग और मीडिया जैसे संस्थाओं का राजनीतिकरण कर उन पर कार्यपालिका का दबाव बनाया जा रहा है। कांग्रेस ने कहा है कि जिस तरह से सत्तापक्ष संसद की कार्यवाही में व्यवधान डालता है उससे संसद की गरिमा में गिरावट आई है। इस बाबत हाल ही में संपन्न संसद के शीत सत्र का जिक्र किया गया है। प्रस्ताव में एक देश एक चुनाव विधेयक को संविधान प्रदत्त देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया गया है।

कार्यसमिति के प्रस्ताव में चुनाव आयोग की सिफारिश पर इसके नियम 1961 में संशोधन की आलोचना की गई है। इस नियम में संशोधन से चुनाव से जुड़े अहम दस्तावेजों तक आम लोगों की पहुंच को सीमित कर दिया गया है। साथ ही इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए जरूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के बुनियादी नियमों की अनदेखी करार दिया गया है। प्रस्ताव मे कहा गया है कि इस संशोधन को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गई है। साथ ही हाल में हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में संदिग्ध चुनावी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया गया है।

सांप्रदायिकता पर प्रहार

कांग्रेस ने अपने प्रस्ताव में देश सरकार द्वारा प्रायोजित सांप्रदायिक और जातीय नफरत, खासतौर से अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाए जाने पर चिंता जताई गई है। प्रस्ताव में मणिपुर में मई 2023 से जारी हिंसा पर चिंता जताते हुए सरकार की उदासीनता की आलोचना की गई है। कहा गया है कि डेढ़ साल गुजरने के बाद भी प्रधानमंत्री ने इस अशांत राज्य का दौरा नहीं किया है।

कांग्रेस ने संभल जैसी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा है कि आरएसएस-बीजेपी ने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए संभल और अन्य स्थानों पर जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काया है। कांग्रेस ने कहा है कि वह पूजा स्थल अधिनियम, 1991, के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है लेकिन इस अधिनियम को भी अनावश्यक बहस का विषय बन गया है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने असम और उत्तर प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों में कांग्रेस पार्टी द्वारा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकार और पुलिस की कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा की है। कांग्रेस ने कहा है कि इन प्रदर्शनों में कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं की जान चली गई और यह बीजेपी की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।

पार्टी ने मांग की है कि जल्द से जल्द सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना कराई जाए और अनुसूचित जातियों/ जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि समाज के इन तीन पारंपरिक रूप से वंचित समूहों को मिलने वाले लाभों को और बढ़ाया जा सके। कांग्रेस ने कहा है कि आरक्षण उचित माध्यमों से निर्धारित सामाजिक, आर्थिक या शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए।

पार्टी ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में तेजी से मंदी आई है और आवश्यक वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। वहीं मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां प्रधानमंत्री के कुछ पसंदीदा व्यापारिक समूहों को और अमीर बनाने के लिए बनाई गई हैं। अर्थव्यवस्था में कुछ लोगों के अधिकार बढ़ रहे हैं जबकि भारतीयों की पूंजी बाजारों में आम नागरिकों की हिस्सेदारी भी है, ऐसे में नियामकों की ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

प्रस्ताव मे बताया गया है कि तेज़ आर्थिक विकास को गति देने वाले निजी निवेश में सुस्ती बरकरार है और खपत भी बड़े पैमाने पर स्थिर है। कांग्रेस कार्यसमिति ने मांग की है कि सरकार आगामी केंद्रीय बजट में गरीबों को आय सहायता और मध्यम वर्ग को टैक्स में राहत दे। वहीं जीएसटी को बेतुका बताते हुए कहा गया है कि कांग्रेस कार्यसमिति जीएसटी 2.0 की अपनी मांग दोहराती है जो कागज़ पर और व्यवहार में दोनों ही तरह से एक सच्चा और सरल टैक्स होगा। कार्यसमिति ने कहा है कि उद्योग, व्यापार और वाणिज्य पर टैक्स टेररिज्म यानी कर आतंकवाद को समाप्त किया जाना चाहिए।

किसानों और खेतों की बात करते हुए कांग्रेस कार्यसमिति ने कृषि और ग्रामीण रोजगार की घोर उपेक्षा के लिए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा है कि किसान बढ़ती लागत और वाजिब एमएसपी से जूझ रहे हैं, जबकि किसानों की आय दोगुनी करने जैसे वादे अधूरे हैं। मनरेगा के मद में पैसा कम कर दिया गया है जिससे कि लाखों कमजोर परिवार जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेस कार्यसमिति ने इन मोर्चों पर तत्काल सुधारात्मक उपायों की मांग की है। इनमें एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और खेती की समग्र लागत का 50 फीसदी तय करना, और मनरेगा के लिए पर्याप्त वित्त पोषण के साथ-साथ इसकी मजदूरी दर को बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिदिन करना शामिल है।

विदेश नीति की बात करते हुए कांग्रेस कार्यसमिति ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव कम करने के बारे में विदेश मंत्री की घोषणा का नोटिस लिया है। कांग्रेस ने कहा है कि जो कहा गया है वह अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल करने के भारत के घोषित लक्ष्य से काफी पीछे है और यह दशकों में देश के लिए सबसे बड़ा क्षेत्रीय झटका है। कार्यसमिति ने अपनी मांग दोहराई कि सरकार विपक्ष को विश्वास में लेकर एलएसी पर स्थिति के बारे में संसद में पूर्ण चर्चा कराए। वहीं बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों में हाल ही में हुई वृद्धि पर भी चिंता व्यक्त की गई। कांग्रेस ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया है ताकि वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित की जा सके।

कांग्रेस कार्यसमिति ने पूरे देश में भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जबरदस्त प्रभाव के बारे में भी बात की है। प्रस्ताव मे कहा गया कि भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने का विचार मई 2022 में उदयपुर चिंतन शिविर में आया था, जिसे मूर्तरूप दिया गया। कहा गया कि भारत जोड़ो यात्रा की असाधारण सफलता ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा की बुनियाद डाली। कांग्रेस ने इन दोनों परिवर्तनकारी आंदोलनों से उत्पन्न गति को बनाए रखने के लिए, संगठन के भीतर सभी स्तरों पर महत्वपूर्ण सुधार की जरूरत पर जो दिया। कांग्रेस ने माना है कि संगठनात्मक बदलाव एक सतत प्रक्रिया है, इसे अब तेज और तीव्र किया जाना चाहिए।

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कार्यसमिति ने संगठन सृजन कार्यक्रम शुरू करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष की पहल की सराह करते हुए इसे प्राथमिकता के आधार पर तुरंत लागू किए जाने पर जोर दिया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस कार्यसमिति और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारतीय संविधान और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इस के तहत कांग्रेस 27 दिसंबर को बेलगावी में रैली के साथ जय बापू, जय भीम, जय संविधान अभियान शुरू करेगी और 26 जनवरी, 2025 को महू में रैली के साथ संविधान लागू होने और हमारे गणतंत्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाएगी। इस एक महीने के दौरान हर ब्लॉक, जिले और राज्य में रैलियां और मार्च आयोजित किए जाएंगे।

कार्यसमिति ने अपने प्रस्ताव मे कहा है कि महात्मा गांधी की विरासत के साथ-साथ संविधान की विरासत को संरक्षित, सुरक्षित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता की तात्कालिकता को देखते हुए, यह आंदोलन 26 जनवरी, 2025 से आगे भी जारी रहेगा। 26 जनवरी, 2025 और 26 जनवरी, 2026 के बीच, कांग्रेस संविधान बचाओ राष्ट्रीय पदयात्रा नामक एक विशाल, राष्ट्रव्यापी जनसंपर्क अभियान शुरू करेगी जिसमें सभी नेता भाग लेंगे। यह पदयात्रा रिले के रूप में गाँव-गाँव, कस्बे-कस्बे तक जाएगी। इसके अलावा अगले साल अप्रैल के पहले पखवाड़े में गुजरात में कांग्रेस का अधिवेशन आयोजित करने का ऐलान भी किया गया है।