Dalit Atrocities: ज़मीन पर बैठने को मजबूर की गई महिला दलित प्रधान, ऊंची जाति वाले कुर्सियों पर बैठे
Tamil Nadu: तमिलनाडु के कुड्डुलोर में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना, प्रधान ने पहले भी ऐसा होने के आरोप लगाए

कुड्डुलोर। तमिलनाडु एक बार फिर से मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। राज्य के कुड्डुलोर की थेरकुथिती ग्राम पंचायत की दलित प्रधान राजेश्वरी को बैठक के दौरान जमीन पर बैठने पर मजबूर किया गया, जबकि बाकी सदस्य कुर्सियों पर बैठे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। राजेश्वरी इसी साल जनवरी में प्रधान चुनी गई थीं।
थेरकुथिती गांव में करीब 500 परिवार रहते हैं, इनमें से 100 परिवार दलित समुदाय के हैं। यह ग्राम पंचायत आरक्षित है। राजेश्वरी ने आरोप लगाया है कि उन्हें पूरी बैठक के दौरान जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया गया। राजेश्वरी ने यह आरोप भी लगाया कि उनके साथ यह दुर्व्यवहार कई बार हो चुका है।
इस पूरे मामले में मोहन राज के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया गया है। मोहन राज इस ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष हैं और ऊंची जाति से आते हैं। पंचायत के एक सचिव को भी निलंबित कर दिया गया है।
इससे पहले राज्य के थिरूवल्लूर गांव के एक दलित प्रधान को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराने दिया गया था।
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यह घटना तब सामने आई है, जब देश में एक के बाद एक दलित समुदाय के लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं। कहीं इस समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे हैं तो कहीं मारपीट। हाथरस मामला तो अभी राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है। हाल ही में ब्राह्णवाद के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट लिखने के कारण गुजरात में एक दलित वकील की हत्या कर दी गई थी।