अर्नब गोस्वामी की फिर बढ़ी मुश्किलें, दर्शकों को भड़काने के आरोप में कोर्ट ने जारी किया समन

दिल्ली की एक अदालत ने रिपब्लिक मीडिया के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को समन जारी किया है, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने लोगों को भड़काने के इरादे से झूठी खबर चलाने का आरोप लगाया था

Updated: Oct 29, 2021, 12:34 PM IST

Photo Courtesy : DAWN
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नई दिल्ली। टीआरपी रेटिंग जालसाजी मामले में थोड़ी राहत मिलने के बाद अर्नब गोस्वामी की मुश्किलें फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। दिल्ली की एक अदालत ने रिपब्लिक मीडिया के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को समन जारी किया है। अर्नब पर आरोप है कि उन्होंने दर्शकों को भड़काने के इरादे से झूठी खबर चलाई। 

दरअसल, असम हिंसा से संबंधित रिपब्लिक टीवी द्वारा दिखाए गए खबरों को लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने अर्नब और उनकी सहयोगी अनन्या वर्मा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया था। PFI ने अपने मुकदमे में कहा है की रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क में हमारी छवि को खराब करने के लिए झूठे खबर चलाए गए। पीएफआई ने इस मामले में न्यूज़ ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड्स एसोसिएशन (NBSA) को भी प्रतिवादी बनाया है।

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जानकारी के मुताबिक रिपब्लिक मीडिया ने बीते 27 सितंबर को अपने वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में लिखा था "दारंग फायरिंग: पीएफआई से जुड़े 2 संदिग्ध गिरफ्तार, विरोध के लिए भीड़ जुटाने का आरोप"। इसी खबर को टीवी पर प्रसारण के दौरान लिखा गया कि "असम हिंसा जांच: पीएफआई से जुड़े 2 लोग गिरफ्तार... साजिश के आरोप... पुलिस ने पीएफआई से जुड़े 2 लोग एमडी अस्मत अली अहमद और मोहम्मद चंद ममूद को गिरफ्तार किया है"।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का दावा है कि गिरफ्तार किए गए दोनों लोग चांद मामूद और अस्मत अली न तो हमारे संगठन से जुड़े हुए हैं और न ही वे प्राथमिक सदस्य हैं। पीएफआई ने इसकी पुष्टि के लिए दरांग एसपी का बयान भी पेश किया है जिसमें उन्होंने बताया कि फायरिंग मामले में गिरफ्तार आरोपी स्थानीय पंचायत निकायों के नेता हैं। और PFI से उनका कोई संबंध नहीं है।

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पीएफआई का कहना है कि अर्नब के चैनल ने जानबूझकर हमारे संगठन को बदनाम करने के मकसद से अपमानजनक खबरें चलाई है। पीएफआई ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के चेहरे पर धब्बा करार देते हुए कहा है कि ये रिपोर्ट झूठा और पूर्वाग्रह से प्रेरित था। पीएफआई ने यह भी कहा है कि उन्होंने झूठी रिपोर्टिंग के माध्यम से सद्भावना बिगाड़ने की कोशिश की। मामले में साकेत कोर्ट की अतिरिक्त सिविल जज शीतल चौधरी प्रधान ने अर्नब गोस्वामी और अनन्या वर्मा को समन जारी करते हुए 3 जनवरी तक का समय दिया है।