दिशा रवि को ज़मानत देते हुए दिल्ली की कोर्ट ने कहा, सरकार की नीतियों का विरोध देशद्रोह नहीं

दिशा को ज़मानत देने वाले जज ने अपने आदेश में कहा, सरकार के जख्मी गुरूर पर मरहम लगाने के लिए देशद्रोह के मुकदमे नहीं थोपे जा सकते, सरकार की नीतियों का विरोध देशद्रोह नहीं

Updated: Feb 24, 2021, 03:23 AM IST

Photo Courtesy : Aaj Tak
Photo Courtesy : Aaj Tak

नई दिल्ली। पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) को पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिल गई है। उन्‍हें एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर मिली जमानत मिली है। दिशा को ज़मानत देने वाले जज ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार के जख्मी गुरूर पर मरहम लगाने के लिए देशद्रोह के मुकदमे नहीं थोपे जा सकते। जज ने यह भी कहा कि नागरिकों को सरकार से अलग राय रखने, उसकी नीतियों का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का पूरा अधिकार है। ऐसा करने को देशद्रोह नहीं बताया जा सकता। 

कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘‘वॉट्सऐप ग्रुप बनाना या किसी टूलकिट को एडिट करना कोई अपराध नहीं है।’’ अदालत ने कहा कि पुलिस ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाई जिससे इस टूलकिट को 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहाराया जा सके। अदालत ने कहा कि संविधान हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है और अंतरराष्ट्रीय ऑडिएंस यानी पाठकों, श्रोताओं और दर्शकों तक अपनी बात पहुंचाना या उनका समर्थन हासिल करने का प्रयास करना भी इस अधिकार का हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19 देश के नागरिकों को शांतिपूर्ण विरोध की छूट भी देता है। सरकार की आलोचना करने वाले सजग नागरिक एक मजबूत लोकतंत्र की पहचान हैं। 

सोमवार को कोर्ट ने दिशा को एक दिन के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा था, जो आज खत्म हो गई। इस बीच दिल्ली पुलिस ने दिशा को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा की अदालत में पेश करके पुलिस कस्टडी और चार दिन के लिए बढ़ाने की मांग की। लेकिन कोर्ट को जब बताया गया कि एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा की अदालत ने दिशा को जमानत दे दी है, तो चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने रिमांड बढ़ाने की पुलिस की अर्जी खारिज कर दी।

दिशा रवि को दिल्ली पुलिस ने बीते 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। उसके अगले दिन यानी रविवार 14 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने उसे दिल्ली में ड्यूटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया, जिसने दिशा को  पांच दिन के लिए पुलिस कस्टडी में सौंप दिया था। पांच दिन की यह कस्टडी खत्म होने के बाद पुलिस ने दिशा की पुलिस रिमांड और बढ़ाने की मांग नहीं की थी। जिसके बाद अदालत ने उन्हें तीन दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा था। लेकिन सोमवार को पुलिस ने कोर्ट से दोबारा पांच दिन की कस्टडी मांगी, जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए सिर्फ एक दिन के लिए कस्टडी दी थी।

पुलिस ने कहा था कि उसे दिशा को केस के बाकी दो आरोपियों शांतनु मुलुक और निकिता जैकब के साथ बिठाकर पूछताछ करनी है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special cell) ने कोर्ट से कहा था कि शांतनु और निकिता को बॉम्बे हाईकोर्ट से ट्रांजिट बेल मिली हुई है। जबकि दिशा रवि ने अपने ऊपर लगाए गए सारे आरोपों में जिम्मेदारी शांतनु और निकिता पर डाल दी है। इन हालात में दिल्ली पुलिस के सामने कोई सभी आरोपियों को आमने-सामने बैठा कर पूछताछ करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

दिल्ली पुलिस ने दिशा पर आरोप लगाया है कि किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को एक गूगल डॉक्युमेंट भेजा था, जो एक बड़ी देश विरोधी साज़िश का हिस्सा है। पुलिस के मुताबिक दिशा ने न सिर्फ उस डॉक्युमेंट को तैयार करने और प्रचारित करने में भूमिका निभाई, बल्कि ग्रेटा को उसे ट्विटर पर शेयर करने के लिए भी दिशा ने ही कहा था। हालांकि दिशा के वकीलों का कहना है कि किसानों के आंदोलन का समर्थन करने या किसी भी मामले में सरकार से अलग राय रखने का मतलब देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होना कतई नहीं हो सकता।