ADR की रिपोर्ट पर जल्द स्पष्टीकरण दे चुनाव आयोग: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी

ADR की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 में 538 सीटों में पड़े कुल वोटों और गिने गए वोटों की संख्या में अंतर दिखा है।

Updated: Aug 01, 2024, 11:49 AM IST

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की विश्वसनीयत और चुनाव आयोग की निष्पक्षता एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इसी बीच ADR ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में 538 सीटों में पड़े कुल वोटों और गिने गए वोटों की संख्या में अंतर दिखा है। इसे लेकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि निर्वाचन आयोग को ADR की रिपोर्ट पर जल्द स्पष्टीकरण देना चाहिए। डॉ कुरैशी ने कहा, 'चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। 2019 में पहली बार जब सवाल उठे थे और आयोग की तरफ से जो जवाब मिलते थे उसे देखकर अफसोस होता था और गुस्सा भी आता था। हम कहते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव कराते हैं... इसका मतलब ये नहीं की 70 फीसदी ठीक से कराएंगे बाकी 30 फीसदी हमारे बस के बाहर है।' 

ADR रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि, 'ये जो डाटा है इसमें एक भी बदलाव की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। जैसे की आपके बैंक खाते में एक रुपए ज्यादा या कम हो गया तो जरूर हिसाब में गड़बड़ी है।मान लीजिए कि एक बूथ में 645 वोट पड़े, ये बढ़ जाए या कम हो जाए ऐसा कैसे हो सकता है। ये रियल टाइम डेटा होता है। जैसे जैसे वोट पड़ता है फॉर्म 17A में उनका नाम और क्रम संख्या लिखा जाता है। फाइनल वोट जो पड़े उसे फॉर्म 17C में लिखा जाता है। उसपर पोलिंग एजेंट्स के हस्ताक्षर होते हैं और मशीन को सील किया जाता है। बाद में वोटों की संख्या अलग कैसे हो सकता है? और हम ये आपको पांच दिन बाद बताएंगे ये कैसे हो सकता है?' 

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इसका स्पष्टीकरण निर्वाचन आयोग ही दे सकता है और उसे जरूर देना चाहिए। क्योंकि ये उनकी जिम्मेदारी है। उन्हें संविधान के तहत उस कुर्सी पर बैठाया गया है। उनकी जिम्मेदारी है फ्री एंड फेयर और पारदर्शी चुनाव कराने की। जरा भी कुछ सवाल उठे उसका फौरन जवाब आना चाहीए, ताकि लोगों के मन में गलतफहमी न हो। 2019 में भी इन्होंने चुप्पी साध ली। हमने भी चुनाव कराए हैं, तब उसी दिन डेटा रिलीज कर दिया जाता था।

डॉ कुरैशी ने सर्वोच्च अदालत के रवैए पर निराशा जताते हुए कहा कि 2019 से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा रहा है। SC के लिए चुनाव से बड़ा नेशनल महत्व का मुद्दा क्या हो सकता है? लेकिन इसके लिए कोर्ट के पास समय नहीं है। सालभर और 6 महीने बाद सुनवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट भी इसका जवाबदेह है।

बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मुताबिक, 362 सीटोंपर कुल वोट और गिने गए वोटों में 5,54,598 का अंतर है। यानी इन सीटों पर इतने वोट कम गिने गए हैं। वहीं, 176 सीटों पर कुल पड़े वोटों से 35,093 वोट ज्यादा गिने गए हैं।ADR की रिपोर्ट में कहा गया है क‍ि चुनाव आयोग काउंटिंग के आख‍िरी और ऑथेंटिक डेटा अब तक जारी नहीं कर पाया।ईवीएम में डाले गए वोट और गिने गए वोट में अंतर पर जवाब नहीं दे पाया। मत प्रतिशत में वृद्धि कैसे हुई, इसके बारे में भी अभी तक नहीं बता पाया।