पर्यावरण मंत्रालय का दावा प्लास्टिक 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल नहीं, इसका प्रमाण देने वाले विज्ञापन होंगे भ्रामक 

रसायन और उर्वरक मंत्रालय में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET) ने शोध किया है।

Updated: Apr 19, 2023, 11:51 PM IST

नई दिल्ली। प्लास्टिक 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल उत्पाद नहीं है को लेकर एक बड़ी और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आ चुकी है इस विषय पर सोध कर रहे भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने पर्यावरण मंत्रालय को प्लास्टिक की बायोडिग्रेडेबिलिटी को प्रमाणित नहीं करने का सुझाव दिया है।

बीआईएस ने कहा की प्लास्टिक 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल उत्पाद नहीं है, अगर कोई निर्माता पालस्टिक को बायोडिग्रेडेबल होने का दावा करता है तो उस विज्ञापन को भ्रामक मानना चाहिए।

 इसी बीच "हरित मानक" पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीआईएस के अध्यक्ष प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि प्लास्टिक पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है या नहीं, यह जानने के लिए  भारत और विदेशों में अनुसंधान अभी भी चल रहा है।

उन्होंने कहा कि हालांकि अभी ऐसी कुछ ठोस जानकारी हाथ नहीं लगी है जो इस बात की पुष्टि करते हो की प्लास्टिक मानव जाति के उपयोग के लिए अपशिष्ट यानी बायोडिग्रेडेबल है और हाल ही में एक बातचीत के दौरान पर्यावरण मंत्रालय को इस बारे में बताया गया था।

बीआईएस ने मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह कुछ निर्माताओं के दावों को प्रमाणित न करे कि उनके प्लास्टिक उत्पाद बायोडिग्रेडेबल हैं, क्योंकि यह अभी साबित होना बाकी है।

उन्होंने कहा कि यह "भ्रामक विज्ञापन" का एक उपयुक्त मामला होगा यदि कोई निर्माता दावा करता है कि उसके प्लास्टिक उत्पाद 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल हैं।

प्रमोद तिवारी ने कहा की "कुछ निर्माता दावा कर रहे हैं कि उनके प्लास्टिक उत्पाद बायोडिग्रेडेबल हैं। हमने मंत्रालय को प्रमाणित नहीं करने के लिए कहा क्योंकि अनुसंधान प्रगति पर है, ”उन्होंने कहा कि मंत्रालय उसी पर बीआईएस के सुझाव पर सहमत हो गया है। 

उन्होंने आगे कहा की भारत में, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के  में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET) ने शोध किया है।