EVM स्टैंड अलोन मशीन नहीं है, VVPAT के कारण विश्वसनीयता पर उठ रहे हैं सवाल: सैम पित्रोदा

ईवीएम से चुनाव मे धांधली की संभावना पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ बिल्कुल की जा सकती है, मैंने देश-विदेश के वैज्ञानिकों से बात की है।

Updated: Dec 27, 2023, 01:24 PM IST

नई दिल्ली। राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित जीत के बाद से ईवीएम की विश्वसनीयता एक बार फिर संदेह के घेरे में है। विपक्ष के नेताओं द्वारा लगातार ईवीएम पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसी बीच भारत में दूरसंचार क्रांति के जनक कहे जाने वाले सैम पित्रोदा ने ईवीएम मुद्दे पर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा कि ईवीएम के साथ बिल्कुल छेड़छाड़ संभव है।

विपक्षी नेताओं द्वारा उठाए गए ईवीएम मुद्दे और वोटिंग मशीनों में धांधली इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा कहते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक मशीन (EVM) को स्टैंड अलोन मशीन नहीं कहा जा सकता है। इसके साथ VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) संलग्न होता है। ऐसे में छेड़छाड़ की गुंजाइश है। चुनाव पर नागरिक आयोग की एक रिपोर्ट है, अगर आप रिपोर्ट पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह मुद्दा कितना गंभीर है। इस रिपोर्ट पर 6,500 नागरिकों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें कई आईएएस अधिकारी, वैज्ञानिक और इंजीनियर्स शामिल हैं। रिपोर्ट पढ़ने के बाद मैंने भी एक्सपर्ट्स से बात की, IIT प्रोफेसर्स से लेकर अमेरिका के प्रोफेसर्स से बात की और उन्होंने भी यही कहा। VVPAT के कारण ईवीएम को लेकर अविश्वास है।

पित्रोदा ने यह भी मैं जल्द ही तकनीकी विशेषज्ञों के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने EVM पर एक प्रेस कांफ्रेंस करने की योजना बना रहा हूं। पित्रोदा कहते हैं कि राहुल गांधी ईवीएम के मुद्दे को लेकर गंभीर हैं। इस पर उनसे बातचीत हुई है। यह स्वीकार करना संभव नहीं है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में EVM से छेड़छाड़ के बिना राहुल अमेठी से लोकसभा चुनाव हार गए। उन्होंने राजनीतिक दलों को ईवीएम से चुनाव के बहिष्कार के विकल्प पर भी विचार करने का सुझाव दिया है। साथ ही कहा कि राजनीतिक दलों को EVM के खिलाफ आंदोलन चलाना चाहिए। हस्ताक्षर अभियान चलाना चाहिए। जागरुकता अभियान चलाना चाहिए। जरूरत पड़े तो नौजवानों को इसके खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन करना चाहिए।


पित्रोदा ने ईवीएम को लेकर कुछ पॉइंट्स भी शेयर किए हैं

1. EVM  को अपने हिसाब से कंट्रोल किया जा सकता है। उसमें दख़ल संभव है।

2. भारत में इस समय उपयोग की जा रही ईवीएम मशीन स्टैंड अलोन मशीन नहीं है।

3. ईवीएम मशीन के साथ जब वीवीपैट मशीन को जोड़ा गया था, तभी से समस्या शुरू हुई. वीवीपैट एक अलग डिवाइस है जिसमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर होता है। 

4. वीवीपैट को ईवीएम से जोड़ने के लिए एक स्पेशल कनेक्टर इस्तेमाल किया जाता है। इसे एसएलयू कहते हैं। यह एसएलयू बहुत से सवाल खड़े करता है।

5. एसएलयू कनेक्टर ही वीवीपैट में यह दिखाता है कि किस बटन से भाजपा को वोट मिला किस बटन से कांग्रेस को और किस बटन से अन्य को। वोटिंग से पहले इसे प्रोग्राम किया जाता है।

6. एसएलयू जोड़ने के बाद ईवीएम स्टैंड अलोन मशीन नहीं रह जाती। इसमें हर तरह के वह काम किए जा सकते हैं, जिनकी बात हो रही है।

7. इसलिए हम चाहते हैं कि वीवीपैट से जो पर्ची निकलती है, वह अभी थर्मल प्रिंटर से निकलती है और उसे कुछ हफ्ते तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है, उसकी जगह ऐसा प्रिंटर इस्तेमाल किया जाए, जिससे निकली पर्ची को अगले 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सके।

8. दूसरा बिंदु यह है कि यह पर्ची केवल कुछ समय के लिए ही वोटर को ना दिखाई दी जाए, बल्कि एक कागज पर प्रिंट होकर उसे मिले, जिसे वह अलग से रखे एक बॉक्स में वोट के रूप में डाल सके। यह बॉक्स किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जुड़ा ना हो।

9. उसके बाद बक्से में डाली गई वोट की पर्चियों की गिनती की जाए।

10. भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों के टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ईवीएम में निश्चित तौर पर कुछ समस्या है, लेकिन भारतीय निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

11. एक प्रोफेशनल होने के नाते मैं कह रहा हूं कि जरूरी नहीं है कि हेराफेरी की ही गई हो, लेकिन मुझे पूरी आशंका है कि ईवीएम में हेराफेरी की जा सकती है। मैं इस बात को स्वीकार नहीं कर सकता कि ईवीएम में सबकुछ ठीक है। ईवीएम को लेकर विश्वास का संकट खड़ा हो गया है।