वार्ता से पहले बाबा लक्खा सिंह से मिले कृषि मंत्री, किसानों ने कहा किसी मध्यस्थ की ज़रूरत नहीं

बाबा लक्खा सिंह नानकसर संप्रदाय से जुड़े हैं, वे किसानों के धरना स्थल पर लंगर भी चलाते हैं

Updated: Jan 08, 2021, 03:51 PM IST

Photo Courtesy: News 24 Hindi
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नई दिल्ली। किसानों और सरकार के बीच आज होने वाली वार्ता से पहले नानकसर संप्रदाय से जुड़े बाबा लक्खा सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच गुरुवार को मुलाकात हुई। बाबा लक्खा सिंह ने कृषि मंत्री से बातचीत के बाद मीडिया से कहा कि किसानों, उनके बच्चों और उनकी पत्नियों की पीड़ा असहनीय है। हालांकि लक्खा सिंह ने यह भी कहा कि उनकी कृषि मंत्री से बातचीत अच्छी रही। 

दरअसल बाबा लक्खा सिंह कृषि मंत्री से बातचीत करने मध्यस्थ के तौर पर गए थे। लक्खा सिंह और कृषि मंत्री के बीच हुई मुलाकात के बाद हलचल बढ़ गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कृषि मंत्री ने लक्खा सिंह ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए तैयार है।

बाबा लक्खा सिंह ने खुद को किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थ घोषित करते हुए कहा कि जल्द ही हमारे पास नया प्रस्ताव होगा और हम इस मसले का जल्द से जल्द समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। हालांकि किसान संगठनों ने बाबा लक्खा सिंह के मध्यस्थ होने से साफ तौर पर इनकार किया है। भारतीय किसान यूनियन के जगनमोहन सिंह ने एक अंग्रेजी अख़बार को बताया है कि वे 13-14 किसान संगठनों से संपर्क में थे। किसी की बाबा लक्खा सिंह से कोई बात नहीं हुई है। 

जगमोहन सिंह ने बाबा लक्खा सिंह की मध्यस्थता को लेकर कहा कि हम तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, ऐसे में किसी मध्यस्थ की भूमिका हो सकती है? जगमोहन सिंह ने कहा कि अगर इन कानूनों को रद्द किए बगैर हम पंजाब वापस जाते हैं तो ज़िन्दा लाश बन कर रह जाएंगे। 

कौन हैं लक्खा सिंह 

बाबा लक्खा सिंह का पंजाब के लुधियाना में डेरा है। अकाली दल बीजेपी सरकार के शासन काल में डेरा का काफी प्रभाव था। बाबा लक्खा सिंह और बीजेपी के बीच अच्छे संबंध माने जाते हैं। बाबा लक्खा सिंह को राम मंदिर के भूमि पूजन में भी आमंत्रित किया गया था। 

आज दोपहर दो बजे सरकार और किसान संगठनों के बीच दो बजे से बातचीत शुरू होनी है। लेकिन इससे पहले राज्य कृषि मंत्री कैलाश चौधरी के बयान से हलचल पैदा हो गई है। कैलाश चौधरी ने किसान आंदोलन पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा है कि यह आंदोलन आढ़तियों के इशारे पर हो रहा है। आंदोलन करने वाले किसान संगठन आढ़तियों के प्रभाव में आ कर आंदोलन कर रहे हैं। कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि जल्द ही सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के उद्देश्य से और भी रिफॉर्म्स लाने वाली है। यह तो अभी शुरुआत है। उस समय भी किसानों को भ्रमित करने की भरपूर कोशिश की जा सकती है।