आज से जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेंगे किसान, दिल्ली पुलिस ने बढ़ाई कड़ी सुरक्षा

सोनीपत से दो सौ किसानों का जत्था जंतर मंतर के लिए रवाना होगा, ये सभी किसान दिल्ली पुलिस की सुरक्षा में जंतर मंतर तक जाएंगे, संसद के मॉनसून चलने तक प्रति दिन दो सौ किसान जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेंगे

Updated: Jul 22, 2021, 05:02 AM IST

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ सात महीनों से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का एक जत्था आज जंतर मंतर की ओर कूच करेगा। करीब दो सौ प्रदर्शनकारी किसान जंतर मंतर पर जुट कर कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध जाहिर करेंगे, और सरकार से इन तीनों को रद्द करने की मांग करेंगे। 

प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सोनीपत से किसानों का एक जत्था जंतर मंतर के लिए रवाना होगा। इस दौरान पुलिस की सुरक्षा भी किसानों के साथ साथ रहेगी। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के अभी प्रदर्शन स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए हैं। जंतर मंतर पर भी कड़ी सुरक्षा की गई है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि कड़ी सुरक्षा रखने के पीछे उद्देश्य यही है कि कोई भी अराजक तत्व प्रवेश न ले पाए। 

वहीं दूसरी तरफ कृषि आंदोलन के खिलाफ डटे किसान संसद के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन तक जंतर मंतर पर प्रदर्शन करते रहेंगे। किसानों ने कहा है कि अगर सरकार और प्रशासन उन्हें रोकती है तो वह वहीं पर अपनी संसद लगा लेंगे।

इससे पहले बुधवार को दिल्ली पुलिस ने जंतर मंतर पर किसानों को प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी। इस समय संसद का मॉनसून सत्र जारी है, विपक्षी दल लगातार सरकार पर किसानों के मसले पर चर्चा करने का दबाव भी बना रहे हैं। सत्र के पहले दिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा भी था कि सरकार किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है। लेकिन सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेगी।

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को प्रदर्शन करते करते आठ महीने बीतने को आए हैं, लेकिन अब तक सरकार और किसानों के बीच कोई साझा समाधान नहीं निकल पाया है। केन्द्र सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।

किसानों से बातचीत करने के बाद सरकार कुछ प्रावधानों में संशोधन करने और डेढ़ साल एक कानूनों के लागू होने पर रोक लगाने की बात कही। लेकिन किसानों का कानून के प्रति स्पष्ट रुख है कि हर हाल में इन कानूनों को रद्द किया जाना चाहिए, इसके साथ उन्हें एमएसपी की गारंटी भी दी जानी चाहिए। किसानों और सरकार के बीच आखिरी बातचीत 22 जनवरी को हुई थी।