फादर स्टेन स्वामी के निधन से देशभर में आक्रोश, मोदी सरकार, गृहमंत्रालय और कोर्ट पर लग रहा हत्या का आरोप
भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए 84 वर्षीय एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी का आज निधन हो गया, गरीब-आदिवासियों की सेवा और मानवाधिकार के लिए स्वामी का योगदान अतुल्यनीय रहा है।

मुंबई। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार 84 वर्षीय एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी का आज निधन हो गया। स्वामी के निधन से देशभर के लोग आक्रोशित हैं। आजीवन गरीब-आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ते रहे स्टेन स्वामी की मौत को लोग हत्या बता रहे हैं और उनकी मौत का जिम्मेदार केंद्र की मोदी सरकार को ठहराया जा रहा है। विपक्ष के दिग्गज नेताओं से लेकर इतिहासकारों, पत्रकारों और एक्टिविस्टों ने स्टेन स्वामी के निधन पर शोक व्यक्त किया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्टेन स्वामी के निधन पर लिखा है कि, 'फादर स्टेन स्वामी के निधन पर हार्दिक संवेदना। वह न्याय और मानवीयता के हकदार थे।'
Heartfelt condolences on the passing of Father Stan Swamy.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 5, 2021
He deserved justice and humaneness.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी आरोप लगाया है कि स्वामी को मानव अधिकारों से वंचित रखा गया। प्रियंका ने ट्वीट किया, 'फादर स्टैन स्वामी को विनम्र श्रद्धांजलि। कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक व्यक्ति जिसने जीवन भर गरीबों-आदिवासियों की सेवा की और मानव अधिकारों की आवाज बना, उन्हें मृत्यु की घड़ी में भी न्याय एवं मानव अधिकारों से वंचित रखा गया।'
फॉदर स्टेन स्वामी का पूरा जीवन आदिवासी व वंचित वर्गों की सेवा में गया। दुख इस बात का है कि मोदीशाह सरकार ने इस निर्दोष समाज सेवी को झूठे प्रकरण में जेल भेज दिया जहां उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि। https://t.co/ZWWozmeyCZ
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 5, 2021
कांग्रेस के दिग्गज नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि उन्हें झूठे प्रकरणों में जेल भेजा गया था। सिंह ने ट्वीट किया, 'फॉदर स्टेन स्वामी का पूरा जीवन आदिवासी व वंचित वर्गों की सेवा में गया। दुख इस बात का है कि मोदीशाह सरकार ने इस निर्दोष समाज सेवी को झूठे प्रकरण में जेल भेज दिया जहां उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।'
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने स्वामी के निधन के लिए कोर्ट और गृह मंत्रालय को दोषी करार दिया है। गुहा ने ट्वीट किया, 'फादर स्टेन स्वामी ने अपना पूरा जीवन पिछड़ों, गरीबों के लिए काम करने में लगा दिया। उनका दुखद निधन एक न्यायिक हत्या का मामला है, इसके लिए गृह मंत्रालय और कोर्ट दोनों बराबरी से जिम्मेदार हैं।'
Father Stan Swamy spent a lifetime working for the dispossessed and the disadvantaged. His tragic death is a case of judicial murder, for which the Home Ministry and the Courts are jointly culpable.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) July 5, 2021
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने स्टेन स्वामी के निधन को लेकर लिखा है कि एक भारतीय होने के नाते मैं दुखी हूं। थरूर ने ट्वीट किया, 'फादर स्टेन स्वामी के निधन की जानकारी पाकर दुखी हूं। एक मानवतावादी और ईश्वरीय इंसान जिससे हमारी सरकार मानवीय बर्ताव नहीं कर सकी. बतौर भारतीय बहुत दुखी हूं।'
Sad to learn of Fr #StanSwamy's passing. A humanitarian & man of God whom our government could not treat with humanity. Deeply saddened as an Indian. RIP. https://t.co/aOB6T0iHU9
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 5, 2021
जानेमाने लेखक व प्रोड्यूसर विनोद कापड़ी ने स्वामी के निधन पर गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा कि, '84 साल के स्टेन स्वामी को मार कर सीना तो और चौड़ा हो गया होगा कातिल का !! बधाई हो हत्यारे , तुम यही सर्वश्रेष्ठ कर सकते हो।'
84 साल के #StanSwamy को मार कर सीना तो और चौड़ा हो गया होगा कातिल का !! बधाई हो हत्यारे , तुम यही सर्वश्रेष्ठ कर सकते हो।
— Vinod Kapri (@vinodkapri) July 5, 2021
लेखक व स्तंभकार दिलीप मंडल ने इस बारे में लिखा कि, 'सरकार और न्यायपालिका ने 84 साल के बुड्ढे बीमार, चलने-फिरने से लाचार, आदिवासी अधिकारों के समर्थक स्टैन स्वामी को बिना दोष सिद्ध हुए जेल में सड़ाकर मार डाला। लानत है।'
सरकार और न्यायपालिका ने 84 साल के बुड्ढे बीमार, चलने-फिरने से लाचार, आदिवासी अधिकारों के समर्थक स्टैन स्वामी को बिना दोष सिद्ध हुए जेल में सड़ाकर मार डाला.
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) July 5, 2021
लानत है.
कौन थे फादर स्टेन स्वामी
फादर स्टेन स्वामी की गिनती देश के उन एक्टिविस्ट में होती है, जिन्होंने लंबे वक्त तक आदिवासियों, दलितों और अन्य पिछड़े तबके के लोगों के लिए आवाज़ उठाई। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले स्टेन स्वामी ने गरीब तबके के बच्चों के लिए स्कूल चलाने का भी काम किया था। केंद्रीय जांच एजेंसी NIA ने उन्हें अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार कर लिया था। उनकी गिरफ्तारी महज एक भाषण को आधार बनाकर हुई थी जो उन्होंने पुणे में एलगार परिषद के एक कार्यक्रम के दौरान 31 दिसंबर 2017 को दिया था।
चूंकि, इस कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई थी, ऐसे में NIA ने इसके लिए स्टेन के भाषण को जिम्मेदार ठहरा दिया और कहा कि वे माओवादीओं से मिले हुए हैं। पिछले कई महीनों से स्टेन की तबियत खराब चल रही थी और उन्हें रिहा करने की लगातार मांगें उठ रही थी, लेकिन 84 वर्ष की उम्र में भी कोर्ट ने उन्हें बेल तक नहीं दिया, अंततः बीमारी से लड़ते हुए वे जीवन का जंग हार गए।