Parliament update: FCRA संशोधन बिल लोकसभा में पास, NGO के लिए आधार नंबर देना होगा जरूरी
सरकार ने कहा विदेशी धन पाने वाले दें पूरी जानकारी, कांग्रेस ने पूछा, PM-CARES फंड में कितना विदेशी धन आया

नई दिल्ली। लोकसभा में आज FCRA यानी फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट में संशोधन का बिल पारित हो गया। सरकार की तरफ से पेश इस संशोधन के लागू होने पर किसी NGO यानी समाजसेवी संस्था के लिए रजिस्ट्रेशन के समय अपने पदाधिकारियों का आधार नंबर देना अनिवार्य हो जाएगा। इस संशोधन के जरिए FCRA कानून में कई और बदलाव भी किए गए हैं।
कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता और सांसद अधीर रंजन चौधरी ने यह संशोधन विधेयक पेश करने के पीछे सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ तो हर क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने की बात करती है और दूसरी तरफ शिक्षा और कमज़ोर तबकों की मदद के लिए आने वाले फंड को रोकने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि FCRA कानून में किए जा रहे इन बदलावों के पीछे एक राजनीतिक एजेंडा छिपा हुआ है। सुधीर रंजन चौधरी ने ये सवाल भी किया कि दूसरों पर सवाल उठाने वाले यह क्यों नहीं बताते कि पीएम-केयर्स फंड के नाम पर कितना विदेशी फंड आया है?
सरकार ने पूछा आधार का विरोध क्यों
सरकार की तरफ से पलटवार करते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि आधार कार्ड को जरूर करने का विरोध क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि अगर किसी संगठन के डायरेक्टर या मैनेजर अपनी पहचान छिपाना चाहते हैं और अपना पता तक नहीं बताना चाहते, तो आखिर वो क्या काम करना चाहते हैं?
Issue of Aadhaar Card was raised. Supreme Court clearly said it's not mandatory to make Aadhaar Card a mean to identify oneself everywhere. But it can be made mandatory by bringing a law, if important. Hence the amendment: MoS MHA on Foreign Contribution(Regulation)Amendment Bill pic.twitter.com/zt69T5D9F4
— ANI (@ANI) September 21, 2020
चर्चा के दौरान एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी संशोधन विधेयक का विरोध किया। उन्होंने सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट तक यह बात साफ कर चुका है कि आधार नंबर अनिवार्य नहीं है, तो सरकार ऐसा करने पर क्यों तुली हुई है? उन्होंने ये भी पूछा कि FCRA एकाउंट खोलने की इजाजत सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को ही क्यों दी गई है? सुप्रिया सुले ने कहा कि एक-दो संस्थाओं के खराब कामों के आधार पर सभी समाजसेवी संस्थाओं को खराब नहीं कहा जा सकता।
As a retired Police from Maharashtra, what example did he (BJP MP Satya Pal Singh) give? That one NGO did not do good work. If he was the Police Commissioner what action did he take?: Supriya Sule, NCP MP during discussion on Foreign Contribution (Regulation) Amendment Bill pic.twitter.com/QqPWYVkdve
— ANI (@ANI) September 21, 2020
बीजेपी सांसद की टिप्पणियों पर हो सकता है विवाद
इस संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद सत्य पाल सिंह ने कुछ ऐसी बातें भी कहीं, जिन पर विवाद खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा, हमें पता है कि पिछले 50 सालों में नॉर्थ ईस्ट के हालात किस तरह बदले हैं और एक खास धर्म आगे बढ़ा है। सरकार के संशोधन को सही ठहराने के लिए सत्य पाल सिंह ने ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स की 21 साल पहले ओडिशा में हुई हत्या का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा, “ग्राम स्टेन्स हत्याकांड पर काफी हंगामा मचा था। स्टेन्स और उनके दोनों बच्चों के साथ जो हुआ वो गलत था। लेकिन घटना की जांच में यह बात भी सामने आई कि वहां आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा था।” FCRA कानून में संशोधन को सही साबित करने के चक्कर में एक नृशंस हत्याकांड को घुमा-फिराकर जायज ठहराने की बीजेपी सांसद की यह कोशिश वाकई हैरान करने वाली है।
We know what happened in northeast, how things changed there in last 50 yrs & a particular religion rose. There's govt & intelligence report that how insurgency increased there with money under FCRA: SP Singh, BJP while discussing Foreign Contribution (Regulation) Amendment Bill pic.twitter.com/pyNlghib6R
— ANI (@ANI) September 21, 2020