नहीं चाहता कि मेरे बनाए टेबल पर विभाजनकारी नीतियां बने, आर्टिस्ट ने PMO के लिए टेबल डिजाइन करने से किया इनकार
देश के मशहूर फर्नीचर डिजाइनर कुणाल मर्चेंट ने प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए टेबल बनाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया की यह यह समाज के हित में नहीं होगा
नई दिल्ली। देश में बढ़ रहे नफरत और घृणा के माहौल के बीच अब आवाजें उठने लगी है। मशहूर फर्नीचर डिजाइनर कुणाल मर्चेंट ने पीएम मोदी के लिए टेबल डिजाइन करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि मैं नहीं चाहता की मेरे बनाए टेबल पर विभाजनकारी नीतियां बने। हालांकि, मामला तूल पकड़ने के बाद अब पीएम कार्यालय ने कहा है कि उन्होंने कभी कुणाल मर्चेंट से संपर्क ही नहीं किया।
दरअसल, कुणाल मर्चेंट ने बीते दिनों अपने इंस्टा हैंडल पर पीएम मोदी के कथित निजी सचिव से बातचीत की स्टोरी पोस्ट की थी। कुणाल मर्चेंट को विवेक कुमार नाम के युवक ने मेल किया था। इसमें उसने लिखा की प्रधानमंत्री कि इच्छा है की आप उनके लिए एक टेबल डिजाइन करें। उस टेबल को पीएम कार्यालय में रखा जाएगा और प्रधानमंत्री उसका इस्तेमाल करेंगे।
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इस ऑफर को ठुकराते हुए कुणाल मर्चेंट ने एक लंबा जवाब भेजा। कुणाल ने लिखा है कि, 'धन्यवाद। दुर्भाग्य से अपने सामाजिक विचारों के कारण मैं इस अवसर को सम्मानपूर्वक अस्वीकार करना चाहता हूं। अगर चीजें अच्छी होती तो मैं जरूर इस काम को पूरा करता। मैं इसे 'स्वराज डेस्क' कहना पसंद करता। द रेस्योलूट डेस्क की तरह जिसके पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति बैठते हैं। हमारी एकता, बंधुता और विविधता का प्रतीक बनाने के लिए मैं पूरे भारत से लकड़ियां मंगाकर उसे तैयार करता।'
कुणाल मर्चेंट आगे लिखते हैं कि, 'मैं गांधीवादी हूं। अहिंसा और सविनय अवज्ञा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की सच्ची भावना में विश्वास करता हूं। कला, डिजाइन अथवा क्रिएटिविटी पूर्वाग्रह से मुक्त होती है। मैने देखा है कि आपकी सरकार और उसकी नीतियां पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। मैं प्रधानमंत्री मोदी कि राजनीति और उनकी नीतियों का विरोध करता हूं। आप जिस भारत को बनाने की कोशिश कर रहे हैं वह अतीत में कभी अस्तित्व में नहीं था, वर्तमान में इसका कोई आधार नहीं है। आपका भारत पूर्वाग्रह से ग्रसित और घृणास्पद है। मेरा भारत धर्मनिरपेक्ष, बहुल, समावेशी, सहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष है जिसका सात हजार साल पुराना रिकॉर्ड बाहरी लोगों को भी स्वीकार करने का है।'
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कुणाल लिखते हैं कि, 'मेरे 20% साथी गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं और मेरे 22% साथी जो मुस्लिम हैं, आपकी सरकार और उसकी नीतियों के कारण हाशिए पर हैं। मुझे लगता है कि नैतिक रूप से ऐसा डेस्क डिजाइन करना उचित नहीं है जिसपर विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने और अल्पसंख्यकों से भेदभाव वाले कानून और नीतियों पर हस्ताक्षर हो। याद रखें इतिहास नाजी समर्थकों को भी नाजियों की तरह ही देखती है। मैं इस शासन में कोई योगदान देना नहीं चाहता हूं। ताकि ऐसा न हो कि इतिहास मुझे भी आपके नस्लवाद, फासीवाद और बाइनरी सोच से भी जोड़ दे।'
We have received a complaint regarding forgery, impersonation and identity fraud of an office bearer at the Prime Minister’s Office. Matter is under investigation.@PMOIndia @HMOIndia pic.twitter.com/1r1mhPCvoX
— CP Delhi #DilKiPolice (@CPDelhi) April 15, 2022
कुणाल मर्चेंट ने यह भी लिखा कि उनके स्टाफ़ में दलित, महिला, अल्पसंख्यक सभी शामिल हैं और एक विभाजनकारी कार्यालय के लिए कुछ भी करने का मतलब अपने लोगों के साथ एहसान फ़रामोशी करना है। कुणाल मर्चेंट का यह जवाब वायरल होने के बाद पीएमओ ने साफ इनकार कर दिया कि उन्होंने डेस्क डिजाइन करने के लिए संपर्क किया था। दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना अब इस मामले कि जांच कर रहे हैं।'