हेट स्पीच और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर PM मोदी खामोश क्यों, 13 विपक्षी दलों का साझा हमला
देश में बढ़ते हेट स्पीच और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के खिलाफ देश के 13 विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी किया है, इसमें पीएम मोदी की खामोशी पर सवाल खड़े किए गए हैं
नई दिल्ली। देश में बढ़ते हेट स्पीच और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर पीएम मोदी की खामोशी पर विपक्ष ने चिंता जताई है। देश के 13 विपक्षी दलों ने हिजाब, मीट, मस्जिदों में अजान को लेकर जारी विवाद को लेकर साझा बयान जारी कर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है।
इस संयुक्त बयान में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, झारखंड सीएम हेमंत सोरेन, एनसीपी चीफ शरद पवार, तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी, डी राजा और दीपांकर भट्टाचार्य समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने नागरिकों से शांति बनाए रखने और हिंसा के दोषी अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की अपील की।
Will you let our nation descend into chaos & destruction?
— Congress (@INCIndia) April 16, 2022
Will you be able to look into the eyes of our children as they suffer a fate inflicted upon them by vested interests?
Will you stay silent in an atmosphere of hate?
We pray you don't.
Come, stand with us, against hate. pic.twitter.com/1LHfnEhKW6
इस बयान में समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है और धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे लोगों के घृणित उद्देश्यों को नाकाम करने का आह्वान किया गया है। साथ ही कहा गया है की समाज में घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के मामले में पीएम मोदी की खामोशी हैरान करने वाली है।
विपक्षी नेताओं ने कहा कि हम सांप्रदायिक हिंसाओं को लेकर केंद्र सरकार के रवैये से हैरान हैं। वो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में पूरी तरह से विफल रही है जो कट्टरता का प्रचार करते हैं, और अपनी भाषा-शब्दों के माध्यम से देश के लोगों को भड़काने की कोशिश करते हैं। आज समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए पोशाक, त्योहारों, भाषा के साथ साथ आस्था का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन उनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है।
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विपक्षी दलों ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नफरती माहौल को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ एक भी शब्द बोलने में नाकाम रहे हैं। उनके बयान या कामों में ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है, जिसमें ऐसे हिंसा फैलाने वाले लोगों या संगठनों की निंदा की गई हो। यह खामोशी गवाह है कि ऐसे निजी सशस्त्र संगठनों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। इन दलों ने सामाजिक सौहार्द के लिए सामूहिक तौर पर काम करने का संकल्प दोहराया और कहा कि हम नफरती विचारधारा और समाज में खाई पैदा करने की कोशिशें करने वालों के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट हैं।
गौरतलब है कि रामनवमी के दिन देश में मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे कई राज्यों में हिंसा देखने को मिली थी। उधर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी मस्जिदों पर लाउडस्पीकर का मुद्दा गरमाया हुआ है। इससे पहले कर्नाटक में हिजाब और मीट को लेकर विवाद हो चुका है।