जिस स्कीम का आपने मजाक उड़ाया उसी ने कोरोना काल में... लोकसभा में सरकार पर बरसीं सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर मनरेगा फंड में कटौती का आरोप लगाते हुए कहा कि इस साल मनरेगा का बजट साल 2020 की तुलना में 35 फीसदी कम है, जबकि बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को लोकसभा में केन्द्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने मनरेगा बजट का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि केंद्र ने फंड में कटौती की है। उन्होंने पीएम मोदी को आइना दिखाते हुए कहा कि जिस स्कीम का आपने मजाक उड़ाया था, उसी ने कोरोना संकट काल में लोगों की मदद की।
लोकसभा के शून्यकाल में मनरेगा का विषय उठाते हुए सोनिया गांधी ने कहा, 'मनरेगा का कुछ साल पहले कुछ लोगों ने मजाक बनाया था। हालांकि उसी मनरेगा ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान देश के करोड़ों प्रभावित गरीब परिवारों की सहायता की। फिर भी आज मनरेगा के लिए आवंटित बजट में कटौती की जा रही है। इस साल मनरेगा का बजट साल 2020 की तुलना में 35 फीसदी कम है, जबकि बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है।'
जिस मनरेगा का कुछ साल पहले कुछ लोगों ने मजाक उड़ाया था, उसी मनरेगा ने कोरोना में प्रभावित करोड़ों परिवारों को सहायता प्रदान करते हुए सरकार के बचाव में सार्थक भूमिका निभाई।
— MP Congress (@INCMP) March 31, 2022
फिर भी मनरेगा के बजट में कटौती की जा रही है:
कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी pic.twitter.com/DSMW9ZJpeK
कांग्रेस अध्यक्ष में आगे कहा कि, 'मनरेगा की बजट में कटौती के कारण मजदूरों को काम और मजदूरी मिलने में दिक्कत हो रही है। कामगारों को भुगतान में भी देरी हो रही है।' उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मनरेगा के लिए उचित फंड का आवंटन किया जाए। काम के 15 दिनों के भीतर कामगारों को मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। मजदूरी भुगतान में देरी की स्थिति में कानूनी तौर पर मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित हो।
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सदन में सोनिया गांधी ने जैसे ही अपनी बात खत्म की एक के बाद एक केंद्रीय मंत्रियों ने सरकार के पक्ष में दलीलें देने शुरू कर दिए। गिरिराज सिंह ने दावा किया कि 2013-14 में मनरेगा का बजट सिर्फ 33 हजार करोड़ था जिसे बीजेपी सरकार ने एक लाख 12 हजार करोड़ तक पहुंचाया। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जवाब देते हुए कहा कि यूपीए के समय में जो बजट होता था उतना भी खर्च नहीं हो पाता था। आपदा के समय मोदी सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बजट का प्रावधान किया।