गुजरात दंगों की आरोपी माया कोडनानी के वकील रहे चुके हैं गुजरात HC में राहुल गांधी के मामले की सुनवाई करने वाले जज

सूरत के सेशंस कोर्ट में राहुल गांधी की सज़ा को बरकरार रखने वाले जज अतीत में अमित शाह के वकील रह चुके हैं

Updated: Apr 30, 2023, 01:17 PM IST

नई दिल्ली। राहुल गांधी से जुड़े मानहानि के मामले में सुनवाई करने वाले जजों की निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ गई है। इस समय राहुल गांधी के मामले की गुजरात हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है। लेकिन इस मामले की सुनवाई कर रहे जज जस्टिस हेमंत गुजरात दंगों की आरोपी माया कोडनानी के वकील रह चुके हैं।

अंग्रेजी के वेब पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जस्टिस हेमंत ने नरोदा पाटिया और नरोदा गाम के आपराधिक मामलों में एसआईटी की विशेष अदालत के समक्ष माया कोडनानी की वकालत की थी। नरोदा पाटिया और नरोदा गाम क्षेत्र में सैकड़ों मुस्लिमों और बच्चों की निर्मम हत्या कर दी गई थी और इस मामले में गुजरात सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी का नाम मुख्य आरोपियों में शामिल था। 

जस्टिस हेमंत ने अपनी वकालत की शुरुआत गुजरात हाई कोर्ट से की थी और वह 2002 से लेकर 2007 तक गुजरात हाई कोर्ट में अतिरिक्त पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रहे। 2021 में गुजरात हाई कोर्ट में जज के पद पर नियुक्ति से पहले जस्टिस हेमंत 2015 से लेकर 2019 तक गुजरात हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसल थे। 

गुजरात हाई कोर्ट से पहले राहुल गांधी ने सूरत के सेशंस कोर्ट में उन्हें सुनाई गई सज़ा को चुनौती दी थी। हालांकि वहां भी राहुल गांधी की सज़ा को बरकरार रखने वाले जज पूर्व में गृह मंत्री अमित शाह के वकील रह चुके हैं। सेशंस कोर्ट में राहुल गांधी की सुनवाई करने वाले जस्टिस रॉबिन मोगेरा ने तुलसीराम प्रजापति फर्जी एनकाउंटर मामले में बतौर वकील अमित शाह की पैरवी की थी। 

इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट में राहुल गांधी के मामले की सुनवाई से महिला जज गीता गोपी ने खुद को अलग कर लिया था। हालांकि जस्टिस गीता ने इस मामले की सुनवाई से खुद को क्यों अलग किया इसकी वजह अभी तक सामने नहीं आ पाई है। अतीत में भी जज मामलों की सुनवाई से खुद को अलग करते रहे हैं। 

भारत के पूर्व सीजेआई एनवी रमन्ना ने 2019 में सीबीआई के अंतरिम निदेशक पद पर नियुक्त किए गए नागेश्वर राव के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई से खुद को सिर्फ इसलिए अलग कर लिया था क्योंकि नागेश्वर राव उनके गृह नगर के थे और वह उनकी बेटी की शादी में शिरकत करने पहुंचे थे। हालांकि उनसे पहले जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एके सीकरी ने भी खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था।