संसद की कैंटीन में अब रेलवे नहीं करेगी खानपान का इंतज़ाम, दूसरी कंपनी देगी सेवाएं
Indian Railway: पिछले 52 सालों से संसद परिसर में कैटरिंग सेवाएं दे रही थी रेलवे, सालाना 15 से 18 करोड़ की होती थी कमाई

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे अगले महीने तक संसद कॉम्प्लेक्स की कैंटीन और किचेन में अपनी सेवाएं देना बंद कर देगी। उसकी जगह अब कोई नई एजेंसी लेगी। रेलवे पिछले 52 सालों से ये सेवाएं दे रही थी। इस संबंध में रेलवे को लोक सभा सचिवालय से आदेश मिला है। इस आदेश के तहत रेलवे को 15 नवंबर तक सभी कैंटीन और किचेन खाली करने होंगे और साथ ही उसके पास कम्प्यूटर, प्रिंटर, फर्नीचर इत्यादि जो कुछ भी सामान है, उसे भी छोड़ना होगा।
बताया जा रहा है कि भारतीय रेलवे की जगह अब ITDC यानी इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लेगा। संसद परिसर में सांसदों को मिलने वाली खाद्य सेवाओं पर बहुत सब्सिडी मिलती है। बाहर के मुकाबले संसद भवन में मिलने वाला खाना बहुत सस्ता होता है और इसकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है।
आमतौर पर संसद परिसर में कैटरिंग की व्यवस्था एक संसदीय समिति ही देखती है। लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अब तक इस समिति का गठन ही नहीं किया गया है। इसलिए यह फैसला लोक सभा सचिवालय के प्रशासनिक अधिकारियों ने लिया है। इस समय इन सुविधाओं के लिए उत्तर रेलवे के 100 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
बताया जा रहा है कि संसद परिसर में कैटरिंग से रेलवे को सालाना 15 से 18 करोड़ रुपये की कमाई होती है। केंद्र सरकार यह रकम वित्त मंत्रालय के जरिए चुकाती है। अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव खाने की क्वॉलिटी में सुधार के लिए किया जा रहा है। उनका कहना है कि रेलवे की तरफ से चलाई जाने वाली कैंटीन में खाने के बारे में काफी शिकायतें मिलती थीं।