ये क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो जांच, मुख्तार अंसारी के निधन पर बोले अखिलेश यादव

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने कहा कि दो दिन पहले मैं उनसे मिलने आया था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई। उनको अस्वस्थ होने के बावजूद जेल भेजा गया। पेट फूला हुआ था तो हार्ट अटैक कैसे?

Updated: Mar 29, 2024, 10:34 AM IST

बांदा। उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट से गुरुवार रात को मौत हो गई। उन्हें उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में रात 8:25 बजे जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। 9 डॉक्टरों ने इलाज किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। अंसारी के निधन पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जेल में जहर देने के आरोप भी लग रहे हैं।

द वायर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बाराबंकी के एमपी-एमएलए कोर्ट ने 21 मार्च को बांदा जेल सुप्रिटेंडेंट से मुख्तार अंसारी के स्वास्थ्य को लेकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। यह रिपोर्ट 29 मार्च तक कोर्ट में दाखिल करना था। इसके एक दिन पहले यानी 28 मार्च को ही उनकी मौत हो गई। अंसारी और उनके परिजन लगातार ये आरोप लगा रहे थे कि जेल में उन्हें जहर दी जा रही है।

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने दावा किया है कि उनके पिता को खाने में जहर दिया गया था।अंसारी के बेटे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि धीमा जहर देने की बात हमने पहले भी कही थी और आज भी यही कहेंगे। 19 मार्च को डिनर में उन्हें जहर दिया गया था। दो दिन पहले मैं उनसे मिलने आया था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई। उनको अस्वस्थ होने के बावजूद जेल भेजा गया। पेट फूला हुआ था तो हार्ट अटैक कैसे? वायरल हुए वीडियो में आप देख सकते हैं कि उनका पेट फूला हुआ था। उनकी हालत गंभीर थी।

मुख्तार अंसारी के निधन पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी सवाल खड़े किए हैं और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, 'हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।'

अखिलेश ने कहा कि, ' - थाने में बंद रहने के दौरान 
- जेल के अंदर आपसी झगड़े में 
- ⁠जेल के अंदर बीमार होने पर
- न्यायालय ले जाते समय
- ⁠अस्पताल ले जाते समय
- ⁠अस्पताल में इलाज के दौरान
- ⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर
- ⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर
- ⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर
ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं। जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।'

बता दें कि 3 डॉक्टरों के पैनल सहित 5 लोगों की टीम मुख्तार के शव का पोस्टमार्टम कर रही है। इसके बाद शव परिजन को सौंपा जाएगा जहां सड़क के रास्ते मुख्तार को पुश्तैनी घर गाजीपुर लाया जाएगा। यहां काली बाग कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। यहां तैयारियां शुरू हो गई हैं। उधर, पूरे राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मऊ और गाजीपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। बांदा में भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।