इशरत जहां फेक एनकाउंटर केस: CBI कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी, इशरत के आतंकी न होने का सबूत नहीं

इशरत जहां एनकाउंटर मामले में क्राइम ब्रांच के कार्रवाई को जायज ठहराते हुए कोर्ट ने आखिरी तीन आरोपियों को भी बरी कर दिया, नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने का था आरोप

Updated: Mar 31, 2021, 08:54 AM IST

Photo Courtesy : The Indian Express
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अहमदाबाद। सीबीआई की विशेष अदालत ने इशरत जहां हत्या मामले में क्राइम ब्रांच के कार्रवाई को जायज ठहराया है। अहमदाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने आज इस मामले में आखिरी तीन आरोपियों को भी बरी कर दिया है। कोर्ट ने इस दौरान तर्क दिया है कि इस बात के कोई सुबूत नहीं है कि इशरत जहां आतंकवादी नहीं थी। बता दें कि गुजरात क्राइम ब्रांच ने साल 2004 में इशरत और तीन अन्य को यह कहते हुए मार डाला था की वे तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे।

मामले की सुनवाई करते हुए स्पेशल सीबीआई जज वीआर रावल ने कहा, 'प्रथम दृष्ट्या जो रिकॉर्ड सामने रखा गया है, उससे यह साबित नहीं होता कि इशरत जहां समेत चारों लोग आतंकी नहीं थे। पुलिस अधिकारियों ने जिस घटना को अंजाम दिया वह परिस्थितियों के आधार पर थी, ऐसा नहीं लगता है कि उनके उन्होंने यह जानबूझकर किया हो।'

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इशरत जहां, प्राणेशष पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर की 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने मार गिराया था। क्राइम ब्रांच ने दावा किया था कि उन्हें मुठभेड़ के दौरान जवाबी कार्रवाई करते हुए मारा गया है। इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे। पुलिस का कहना था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे।

मामले में अधिकारियों पर लगातार यह आरोप लगते रहे कि उन्होंने 19 वर्षीय इशरत का अपहरण किया और उसे बाद में मार दिया। इस केस में सीबीआई ने 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था। इन सभी पुलिस अधिकारियों पर हत्या, मर्डर और सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया था। मामले में चार आरोपी पहले ही बरी हो चुके, वहीं तीन अन्य को आज बरी किया गया।

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कोर्ट ने यह फैसला ऐसे समय में सुनाया है जब सीबीआई की ओर से केस में चुनौती न दिए जाने के चलते यह मामला एक तरह से समाप्त ही हो चुका था। इससे पहले 4 अधिकारियों को डिस्चार्ज किए जाने के खिलाफ सीबीआई ने अपील नहीं की थी। इसके बाद आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल, रिटायर्ड पुलिस अफसर तरुण बरोट और अनाजू चौधरी ने सीबीआई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि उन्हें भी बरी किया जाए। यह अंतिम तीन पुलिसकर्मी थे जिन पर हत्या, आपराधिक साजिश, अपहरण और 19 साल की लड़की को अवैध हिरासत में रखने का आरोप लगा था।