जम्मू-कश्मीर: टेरर फंडिंग पर NIA का शिकंजा, छापेमारी कर 6 लोगों को किया गिरफ्तार

कल ही कथित रूप से आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप में जम्मू-कश्मीर में 11 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है, NIA के मुताबिक इन सभी के तार टेरर फंडिंग से जुड़े हुए हैं

Updated: Jul 11, 2021, 07:15 AM IST

Photo Courtesy: India Today
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जम्मू-कश्मीर। केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने आज तड़के जम्मू-कश्मीर के कई जगहों पर छापा मारा है। जानकारी के मुताबिक ये छापेमारी ISIS मॉड्यूल और आतंकियों की फंडिंग से जुड़ी है। NIA ने अनंतनाग में छापेमारी के दौरान पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया है। अधिकारियों के मुताबिक ये सभी लोग अफगानिस्तान जाने की फिराक में थे। इसके अलावा जांच एजेंसी ने श्रीनगर से भी एक आरोपी को गिरफ्तार किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अनंतनाग के चार अलग-अलग जगहों पर हुई छापेमारी के दौरान पांच लोग गिरफ्तार हुए हैं। इनमें एक 36 साल की महिला भी शामिल है। महिला के पास से पास से चीनी ग्रेनेड और 48 हज़ार रुपये नकद बरामद किए गए हैं। NIA की टीम बारामुला और श्रीनगर के कई ठिकानों पर भी छापेमारी कर रही है। NIA के साथ-साथ इस छापेमारी में जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF के जवान भी शामिल हैं।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक आतंकियों को फंडिंग के मामले में एनआईए को अहम सुराग मिले हैं। इस संबंध में दारुल उलूम इंस्टीट्यूट पर भी छापेमारी की गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इंस्टीट्यूट से लैपटॉप समेत कई दस्तावेज जब्त किए हैं। साथ ही दारुल उलूम इंस्टीट्यूट के चेयरमैन को भी हिरासत में ले लिया है।

एनआईए की ये छापेमारी ऐसे समय में हो रही है, जब शनिवार को ही जम्मू कश्मीर सरकार ने आतकंवादी संगठनों के लिए कथित तौर पर काम करने को लेकर अपने 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इनमें हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे और दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। बर्खास्त किये गये अन्य कर्मचारियों में शिक्षा, कृषि, कौशल विकास, बिजली, स्वास्थ्य विभाग तथा एसकेआईएमएस के लोग शामिल हैं।

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अधिकारियों के मुताबिक कि इन 11 कर्मचारियों में अनंतनाग से चार, बडगाम से तीन और बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा तथा कुपवाड़ा से एक-एक हैं। उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत कोई जांच किए बगैर उनकी बर्खास्तगी की गई। साथ ही बर्खास्त कर्मचारी इस फैसले के खिलाफ सिर्फ हाई कोर्ट में ही अपील कर सकते हैं। NIA के मुताबिक इन सभी के तार टेरर फंडिंग से जुड़े थे। साथ ही वे आतंकियों को सुरक्षाकर्मियों की आवाजाही से जुड़ी सूचना देते थे।