न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व हमारी विरासत का हिस्सा, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक भारत को कभी ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्रोत के रूप में जाना जाता था।

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने अपनी स्पीच की शुरुआत देश को बधाई देकर की। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो हमारी सामाजिक अस्मिता का मूल आधार है। राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व हमारी विरासत का हिस्सा है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि किसी राष्ट्र के इतिहास में 75 साल का इतिहास पलक झपकने जैसा होता है। भारत के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। इस काल खंड में भारत की चेतना जागी। इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सबको संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। आज के दिन सबसे पहले हम उन सूर वीरों को याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त करने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि इस वर्ष, हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं। वे ऐसे अग्रणी स्वाधीनता सेनानियों में शामिल हैं जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में अब समुचित महत्व दिया जा रहा है। हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है। इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने और उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है। उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था। सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं।
उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमारा बढ़ता आत्मविश्वास खेलों के क्षेत्र में भी दिखाई देता है जिसमें हमारे खिलाड़ियों ने कामयाबी की रोचक कहानियां लिखी है। पिछले साल हमारे खिलाड़ियों ने ओलंपिक खेलों में अपनी छाप छोड़ी। पैरालंपिक खेलों में हमने अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा, जो अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके लौटा।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे शतरंज चैंपियन ने दुनिया को प्रभावित किया और हमारे पुरुष और महिला खिलाड़ियों ने फिडे शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2024 के दौरान खेलों में उपलब्धियों की अगुवाई डी गुकेश ने की जो सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बने।