केरल विधानसभा में कृषि क़ानून विरोधी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास, बीजेपी विधायक ने भी नहीं किया विरोध

केरल विधानसभा में बीजेपी के इकलौते विधायक राजगोपाल ने कहा, सदन में इस पर आम सहमति की वजह से मैंने भी नहीं किया विरोध, प्रस्ताव में तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की माँग की गई है

Updated: Dec 31, 2020, 10:17 PM IST

Photo Courtesy: Kerala Assembly Website
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तिरुवनंतपुरम। केरल की विधानसभा ने आज केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया। सर्वसम्मति से पारित किए गए इस प्रस्ताव में मोदी सरकार के लाए तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द किए जाने की माँग की गई है। केरल विधानसभा में पारित किए गए इस प्रस्ताव में मोदी सरकार के नए कृषि क़ानूनों को किसान विरोधी और कॉरपोरेट को फ़ायदा पहुँचाने वाला बताया गया है। देश के कई राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से ज़्यादा वक़्त से इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ धरना दे रहे हैं।

आंदोलनकारी किसानों के प्रति समर्थन ज़ाहिर करने और कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करने के लिए केरल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ और कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ़ ने प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया।

बीजेपी विधायक ने भी नहीं किया प्रस्ताव का विरोध

दिलचस्प बात यह है कि सदन में बीजेपी के इकलौते सदस्य ओ राजगोपाल ने भी कुछ शब्दों पर एतराज़ ज़ाहिर करने के बावजूद कुल मिलाकर प्रस्ताव का विरोध नहीं किया। विधानसभा के बाहर इस बारे में पूछे जाने पर बीजेपी विधायक ने पत्रकारों से कहा, सदन में इस बारे में आम सहमति है। इसलिए मैंने भी इसका विरोध नहीं किया। यही सच्ची लोकतांत्रिक भावना है।

केरल विधानसभा में पारित किए गए इस प्रस्ताव में मोदी सरकार के नए कृषि क़ानूनों को किसान विरोधी और कॉरपोरेट को फ़ायदा पहुँचाने वाला बताया गया है। देश के कई राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से ज़्यादा वक़्त से इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ धरना दे रहे हैं।

आंदोलनकारी किसानों के प्रति समर्थन ज़ाहिर करने और कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करने के लिए केरल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ और कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ़ ने प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया। दिलचस्प बात यह है कि सदन में बीजेपी के इकलौते सदस्य ओ राजगोपाल ने भी कुछ शब्दों पर एतराज़ ज़ाहिर करने के बावजूद कुल मिलाकर प्रस्ताव का विरोध नहीं किया। विधानसभा के बाहर इस बारे में पूछे जाने पर बीजेपी विधायक ने पत्रकारों से कहा, सदन में इस बारे में आम सहमति है। इसलिए मैंने भी इसका विरोध नहीं किया। यही सच्ची लोकतांत्रिक भावना है।

मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने प्रस्ताव पेश करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार कुछ बड़े पूँजीपतियों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए ये क़ानून लेकर आई है। उन्होंने कहा कि तीनों विवादास्पद कृषि क़ानूनों को पारित करने से पहले उन्हें संसद की स्थायी समिति को भी नहीं भेजा गया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगर किसानों का आंदोलन लंबा चला तो इससे केरल को परेशानी हो सकती है, क्योंकि हमारे राज्य में उत्पादन से ज़्यादा खपत होती है। सदन में क़रीब दो घंटे लंबी चर्चा के बाद स्पीकर पी श्रीरामाकृष्णन ने प्रस्ताव को वोटिंग के लिए पेश किया। इसके बाद प्रस्ताव को ध्वनिमत के आधार पर सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। स्पीकर ने कहा कि यह प्रस्ताव सदन किसानों के हितों के प्रति सदन की भावनाओं का इज़हार करता है।