दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त और सामग्री के बारे में जानिए

जब रावण वध और 14 वर्ष का वनवास काटने के बाद भगवान श्री राम अयोध्या लौटे थे तो नगरवासियों ने खुश होकर पूरी अयोध्या को दियों की रोशनी से भर दिया था

Updated: Nov 14, 2020, 02:29 PM IST

Photo Courtesy: Zee News
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इस साल दिवाली 14 नवंबर यानी शनिवार को है। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्यास्त के बाद लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही ज्ञान की देवी सरस्वती, कोषाध्यक्ष कुबेर, कुलदेवता और इष्ट देव की पूजा आराधना की जाती है। दिवाली हिंदुओं के सबसे बड़े और प्रमुख त्यौहारों में से एक है। सभी लोग रात के वक्त दिए जलाकर असत्य पर सत्य की जीत की खुशी मनाते हैं।

माना जाता है कि जब रावण का वध और 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान श्री राम अयोध्या आए थे तो नगरवासियों ने खुश होकर पूरी अयोध्या को दियों की रोशनी से भर दिया था। वहीं इस दिन को लक्ष्मी मां के जन्मदिन के तौर भी मनाया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि दिवाली की रात को ही भगवान विष्णु और लक्ष्मी की शादी हुई थी। माना जाता है कि दिवाली के मौके पर विधि विधान से पूजा करने पर सुख समृद्धि और बुद्धि का आगमन होता है। दिवाली का पूजन स्थिर लग्न में करना अच्छा होता है। कहते हैं कि स्थिर लग्न में पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है।

दीवाली की तारीख और शुभ मुहूर्त 

दीवाली / लक्ष्‍मी पूजन की तिथि: 14 नवंबर 2020 

लक्ष्‍मी पूजन मुहुर्त: 14 नवंबर 2020 को शाम 05:28 बजे से शाम 07:24 बजे तक
अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 14 नवंबर 2020 को दोपहर 02:17 बजे से 
अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 15 नवंबर 2020  को सुबह 10:36 बजे तक 

दीवाली पूजन की सामग्री 

लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, गुलाल, लौंग, सप्तधान्य, अगरबत्ती, हल्दी, धूप बत्ती, अर्घ्य पात्र, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, चांदी का सिक्का, फूलों की माला और खुले फूल, केसर, खील-बताशे, सीताफल, गंगाजल, दूब घास, देसी घी, अक्षत, चंदन, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, गेहूं, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), तेल, मौली, रूई, रोली, पांच यज्ञोपवीत (धागा), लाल कपड़ा, चीनी, शहदहल्दी की गांठ और नारियल

पूजन करते समय ध्यान देने वाली बातें

पूजा की थाली जब तैयार कर लें तो उसे यजमान के सामने रखें। परिवार के सदस्यों को अपने बाईं तरफ बैठाएं। अगर कोई बाहर से आया हुआ है तो उसे परिवार के सदस्यों के पीछे बैठाएं। पूजा करते वक्त लक्ष्मी की दो मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कोई मूर्ति खंडित ना हो या फिर लक्ष्मी का कोई चित्र फटा हुआ ना हो।