प्लास्टिक के कचरे से जहरीली होती जा रही जीवनदायिनी नर्मदा, MS यूनिवर्सिटी की रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा
रिसर्च टीम ने भरूच के पास भड़भूत और हंसोत गांवों से पकड़ीं गई दो किस्म की मछलियों की जांच की। जांच में पाया गया कि मछलियों के पेट में नायलॉन के धागे और प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण भी मौजूद थे।

भरूच। मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनदायिनी नर्मदा नदी भी प्लास्टिक के कचरे से जहरीली होती जा रही है। आलम ये है कि अब नदी से पकड़ी जाने वाली मछलियों के पेट में भी प्लास्टिक के कण पाए जा रहे हैं।
नर्मदा नदी से पकड़ी जाने वाली मछलियों पर यह रिसर्च वडोदरा स्थित महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (MSU) के जूलॉजी डिपार्टमेंट ने की है। रिसर्च टीम ने भरूच के पास भड़भूत और हंसोत गांवों से पकड़ीं गई दो किस्म की मछलियों की जांच की। जांच में पाया गया कि मछलियों के पेट में नायलॉन के धागे और प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण भी मौजूद थे।
जानकारी के मुताबिक महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा के जीव विज्ञान विभाग के स्टूडेंट जलीय जीवों पर लगातार शोध कर रहे हैं। ऐसे ही एक शोध के तहत, प्रियांशु और रश्मि रेस्माकर नाम दो स्टूडेंट्स भड़भूत और हंसोत पहुंचे। दोनों ने ज्यादा बिकने वाली दो प्रजातियों की मछलियां मुगली सेफेलस और मडस्किपर खरीदीं और फिर टीम ने इन पर रिसर्च किया। जांच में पता चला कि दोनों ही मछलियों के पेट में प्लास्टिक और नायलोन की रस्सी के कई बारीक कण भी थे।
इस बारे में एमएस यूनिवर्सिटी के जूलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. धवल भट्ट ने मीडिया को बताया कि अगर ये छोटे कण मछलियों के पेट में पाए गए हैं, तो संभावना है कि ये मछलियों की मांसपेशियों में भी मौजूद हों। इसलिए, अब उस दिशा में भी आगे की शोध चल रही है। दरअसल ये मछलियां नदी की तलहटी में अपना भोजन खोजती हैं। और नदी की तलहटी से मिट्टी भी खाती हैं। इसलिए नदी में मौजूद प्लास्टिक के कण इनके पेट में पहुंच जाते हैं।