मोदी सरनेम केस: राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

गुजरात हाईकोर्ट ने दो दिन दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट अब जून में इस पर फैसला सुनाएगा।

Updated: May 02, 2023, 05:20 PM IST

अहमदाबाद। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से मानहानि केस में दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर मंगलवार को गुजरात हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।कोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट अब जून में इस पर फैसला सुनाएगा।

सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत एम. प्राच्छक की पीठ के समक्ष शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निरुपम नानावटी पेश हुए। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि अपराधों की गंभीरता, सजा इस स्तर पर नहीं देखी जानी चाहिए। राहुल गांधी कि अयोग्यता कानून के तहत हुई है। नानावटी ने तर्क दिया कि राहुल गांधी को कोर्ट ने अयोग्य नहीं ठहराया है। अयोग्यता संसद की ओर से ही बनाए गए कानून के संचालन के कारण हुई। 

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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने राहुल गांधी की ओर से कहा कि सीआरपीसी की धारा 389 (1) के तहत सजा पर रोक लगाने की परीक्षा असाधारण परिस्थितियां हैं। धारा 389 सीआरपीसी किसी व्यक्ति के दोषी होने या न होने से संबंधित नहीं है, लेकिन यह सुविधा के संतुलन के बारे में है। यहां मानहानि को अक्षम्य अपराध माना जा रहा है। स्थिति की अपरिवर्तनीयता को देखना होगा। एक निर्वाचित व्यक्ति लोगों का प्रतिनिधि होने का अधिकार खो देता है, जो अपरिवर्तनीय है। वह अगला सत्र, बैठकें आदि किसी में भी हिस्सा नहीं ले पाएंगे।

सिंघवी ने कहा कि इस बीच अगर चुनाव आयोग उपचुनाव करवाता है, राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ सकते, कोई और लड़कर जीत जाता है, तो क्या हम उसे हरा सकते हैं? नहीं। लेकिन फिर अगर राहुल बाद में बरी हो जाते हैं, तब? इससे सरकारी खजाने का भी नुकसान होगा। सिंघवी ने राजस्थान राज्य बनाम सलमान सलीम खान केस में सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान दिया गया भाषण पूर्ण शक्तियों के साथ संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) को आकर्षित करेगा।

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सिंघवी ने आगे कहा कि मानहानि के मामले में राहुल गांधी को अभी तक सजा नहीं मिली है, अगर ऐसी सजा होती भी है तो 3-6 महीने की सजा दी जाती है। राहुल गांधी पहली बार के अपराधी हैं और उन्हें एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम सजा दी गई है, जो समाज के खिलाफ नहीं है। सिंघवी ने मामले में अंतरिम सुरक्षा मांगी। जस्टिस हेमंत ने राहुल गांधी को अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार किया और दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।