कुल्लू सहित हिमाचल के कई हिस्सों में कुदरत का कहर, ताश के पत्तों की तरह ढह गईं 7 इमारतें

कुल्लू समेत हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में बारिश और भू-स्खलन का सिलसिला जारी है। प्रदेश में बीते 24 घंटे में 11 लोगों की मौत भू-स्खलन के कारण हो गई है।

Updated: Aug 24, 2023, 05:18 PM IST

Image courtesy- Jagran
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कुल्लूः हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए कुदरत कहर बरपा रही है। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार भू-स्खलन के मामले सामने आ रहे हैं। गुरुवार को कुल्लू में भारी बारिश के कारण हुए भ-स्खलन से 7 इमारतें भर-भरा कर गिर गईं। इमारतों के आस पास मौजूद लोगों ने बालकनी से कूदकर अपनी जान बचाई।  घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें इमारतों के गिरने का भयावह मंजर दिख रहा है।

इमारतों के गिरने की घटना कुल्लू स्थित नए बस स्टैंड के पास आज सुबह 9 बजे के आसपास की बताई जा रही है। वीडियो में 7 बहुमंजिला इमारतें गिरते हुए दिखाई दे रही हैं। वहीं एक दूसरे वीडियो में आस पास की इमारतों के लोगों को घर की खिड़कियों और बालकनी से कुदकर भागते हुए देखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि इन इमारतों में कुछ दिन पहले दरारें आ गईं थीं। इसके बाद इन्हें तीन दिन पहले ही खाली करा लिया गया था। इनमें से एक बिल्डिंग में कांगड़ा को-ऑपरेटिव बैंक और दूसरे भवन में SBI बैंक चलती थीं। कुछ इमारतों में किराए की दुकानें चल रहीं थीं एवं कुछ निर्माणाधीन थीं।

 

शिमला में बारिश का 122 सालों का रिकॉर्ड टूट गया। वहीं मंडी, शिमला और सोलन में पिछले 24 घंटे में बादल फटने की 4 घटनाएं हो चुकीं हैं। जिससे 24 घंटे में 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 3 की मौत शिमला में और 8 की मौत मंडी में हुई है। कई लोग अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह किराए से रहने के लिए मजबूर हैं।

मौसम विभाग ने अभी दो दिन के लिए प्रदेश की राजधानी शिमला सहित सिरमौर, कांगड़ा, चंबा, मंडी, हमीरपुर, सोलन, बिलासपुर और कुल्लू के लिए भारी बारिश और बाढ़ का रेड अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने के लिए कहा है। और एहतियातन कुल्लू, शिमला, मंडी और सोलन में स्कूलों में छुट्टी की घोषित कर दी हैं। 

वहीं प्रदेशभर में भारी बारिश, बाढ़, लैंडस्लाइड और बादल फटने से इस मानसून में अबतक 351 लोगों की मौत हो चुकी है। 2255 घर पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं। जबकि 9865 घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। कई परिवार बेघर होकर किराए से रहने को मजबूर हैं। और कई परिवार जान जोखिम में डालकर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों में रह रहे हैं।