कर्तव्यों के लिए प्रेरित करता है पुराना संसद भवन, इसकी गरिमा कभी कम न हो, सेंट्रल हॉल से बोले पीएम मोदी

सेंट्रल हॉल में पीएम मोदी ने कहा कि पुरानी संसद की गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ पुराना संसद भवन कहकर छोड़ दें, ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर आप सब की सहमती हो तो इसे भविष्य में इसे संविधान सदन के नाम से जाना जाए।

Updated: Sep 19, 2023, 01:20 PM IST

नई दिल्ली। आज पुरानी संसद में आखिरी दिन है। देश को आजादी के 75 साल बाद आज नया संसद भवन मिल जाएगा। नए संसद भवन में जाने के पहले पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में मंगलवार को विदाई कार्यक्रम रखा गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये भवन, ये सेंट्रल हॉल एक प्रकार से हमारी भावनाओं से भरा हुआ है।

पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं। आज हम यहां विकसित भारत का संकल्प दोहराने, संकल्पबद्ध होने और उसको परिपूर्ण करने के लिए जी-जान से जुटने के इरादे से नए भवन की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा, 'ये भवन और उसमें भी ये सेंट्रल हॉल हमारी भावनाओं से भरा हुआ है, ये हमें भावुक भी करता है और हमें हमारे कर्तव्यों के लिए प्रेरित भी करता है। 1952 के बाद दुनिया के करीब 41 राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में हमारे सभी माननीय सांसदों को संबोधित किया है। हमारे सभी राष्ट्रपति महोदयों के द्वारा 86 बार यहां संबोधन दिया गया।'

पीएम ने कहा, 'आजादी से पूर्व ये खंड एक प्रकार से लाइब्रेरी के लिए इस्तेमाल होता था। बाद में  संविधान सभा की बैठक शुरू हुई और उसके बाद हमारा संविधान यहीं पर आकार लिया। यही पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतरण किया। उस प्रक्रिया का यह सेंट्रल हॉल साक्षी है।'

पीएम मोदी ने आगे कहा, 'मेरी प्रार्थना और सुझाव है कि जब हम नए संसद भवन में जा रहे हैं तो इसकी (पुराना संसद भवन) गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ पुराना संसद भवन कहकर छोड़ दें, ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर आप सब की सहमती हो तो इसे भविष्य में इसे संविधान सदन के नाम से जाना जाए।'

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'इस संसद ने बीते वर्षों में ट्रांसजेंडर को न्याय देने वाले कानूनों का भी निर्माण किया। इसके माध्यम से हमने ट्रांसजेंडर को भी सद्भाव और सम्मान के साथ नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बाकी सुविधाएं देने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके अलावा, आज जम्मू कश्मीर शांति और विकास के रास्ते पर चल पड़ा है। हमने इस सदन में अनुच्छेद-370 से मुक्ति पाने, अलगाववाद एवं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस काम में माननीय सांसदों और संसद की बहुत बड़ी भूमिका है। जम्मू कश्मीर में इसी सदन में निर्मित संविधान लागू किया गया।'