Prashant Bhushan: जुर्माना भरने का मतलब यह नहीं कि कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया

Supreme Court: अधिवक्ता प्रशांत भूषण पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे, असहमति को दबाने के लिए सरकार कर रही है हर हथकंडे का इस्तेमाल

Updated: Sep 15, 2020, 04:54 AM IST

Photo Courtsey: NDTV
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के दोषी पाए गए वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि जुर्माना भरने का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका डालेंगे।

भूषण ने यह भी बताया कि इस दौरान देश के कोने कोने से उनके पास संदेश आए हैं और जल्द ही लोगों की मदद से ऐसे फंड की स्थापना की जाएगी, जिससे व्यवस्था और सरकार के खिलाफ मत रखने वाले व्यक्तियों पर चलाए जा रहे मुकदमों में कानूनी और आर्थिक सहायता दी जाएगी। भूषण ने बताया कि इस फंड का नाम 'ट्रुथ फंड' होगा। 

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दरअसल, भूषण को उनके द्वारा किए गए दो ट्वीट के एवज में न्यायपालिका की अवमानना का दोषी पाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सजा के तौर पर उन्हें 15 सितंबर तक जुर्माने के रूप में एक रुपया जमा करने के लिए कहा था। ऐसा ना करने पर उन्हें तीन महीने तक जेल भेजा जा सकता था, साथ ही भूषण अगले तीन साल के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस नहीं लड़ पाते। भूषण जुर्माने का एक रुपये ही जमा करने आए थे।

उन्होंने मीडिया से कहा, "क्योंकि मैं जुर्माना भर रहा हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार लिया है। हम आज ही फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं।"

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प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि सरकार असहमति की आवाजों को दबाने के लिए हर तरह का हथकंडे अपना रही है। इस संबंध में उन्होंने रात में गिरफ्तार किए गए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता उमर खालिद का उदाहरण दिया। खालिद को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए आतंकवाद विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया है।