Rafale Deal: CAG ने कहा राफेल बनाने वाली कंपनी ने पूरा नहीं किया वादा, सरकार की खरीद प्रक्रिया पर सवाल

Dassault Aviation ने अब तक नहीं किया टेक्नॉलजी ट्रांसफर, कैग ने एमआई-17 हेलिकॉप्टर के अपग्रेडेशन और रोटैक्स इंजन की खरीद में भी रक्षा मंत्रालय की आलोचना की

Updated: Sep 25, 2020, 06:32 AM IST

Photo Courtesy: Defpost
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नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांस की दसॉ एविएशन कंपनी ने अभी तक भारत को टेक्नॉलजी ट्रांसफर कन्फर्म नहीं किया है, जबकि डील हुए काफी समय हो गया है। कैग की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। टेक्नॉलजी ट्रांसफर ना हो पाने के कारण कैग ने केंद्र सरकार की रक्षा उत्पादों से जुड़ी खरीद प्रक्रिया और नीति पर सवाल उठाए हैं। कैग ने संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद एक बयान जारी किया। बयान में कहा गया कि यह पाया गया है कि विदेशी विक्रेता कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए बड़े-बड़े वादे कर देते हैं लेकिन बाद में उन्हें पूरा करने में अपनी रुचि नहीं दिखाते। 

कैग ने कहा कि दसॉ एविएशन ने 2015 में डीआरडीओ को एक स्वदेशी इंजिन के रखरखाव और विकास के लिए टेक्नॉलजी ट्रांसफर का वादा किया था, लेकिन अभी तक इस संबंध में कुछ भी नहीं हुआ है। हालांकि, कैग की रिपोर्ट में राफेल डील के उस ऑफसेट क्लॉज का कोई मूल्यांकन नहीं किया गया, जिसके कारण सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। 22 अगस्त को जब यह पता चला था कि कैग ने राफेल सौदे के संबंध में ऑडिट बंद कर दिया है, तब राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा था कि भारतीय करदाताओं का पैसा चुरा लिया गया है। 

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कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2005 से मार्च, 2018 के बीच भारत सरकार ने विदेशी विक्रेताओं के साथ कुल 46 ऑफसेट सौदे किए हैं। इनका कुल मूल्य 66,427 करोड़ रुपये है। कैग ने बताया कि इन कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत दिसंबर 2018 तक 19,223 करोड़ रुपये के ऑफसेट मिल जाने चाहिए थे। लेकिन विदेशी विक्रेताओं ने 11,396 करोड़ का ऑफसेट ही डिलीवर किया। 

भारत सरकार ने 2005 में 300 करोड़ रुपये से अधिक की डिफेंस खरीद के लिए ऑफसेट नीति अपनाई थी। इसके तहत विदेशी विक्रेता को खरीद मूल्य का कम से कम 30 प्रतिशत हिस्सा भारत में निवेश करना था। यह निवेश टेक्नॉलजी ट्रांसफर, एफडीाई या भारतीय उत्पाद खरीद कर किया जा सकता है। इस नीति को भारत के आर्थिक विकास में तेज़ी लाने के लिए लागू किया गया था।  

राफेल सौदे को लेकर इसी ऑफसेट नीति का जिक्र करते हुए कैग ने कहा कि दसॉ एविएशन ने अभी तक भारत को कोई बड़ा टेक्नॉलजी ट्रांसफर नहीं किया है, बस राफेल जेट में मिसाइल सिस्टम लगा दिया है। 

रक्षा मंत्रालय और वायु सेना की आलोचना

इसी तरह कैग ने एमआई-17 हेलिकॉप्टरों के अपग्रेड प्रोग्राम को लेकर भी रक्षा मंत्रालय की आलोचना की। कैग ने कहा कि इन हेलिकॉप्टरों को 2002 में अपग्रेड किया जाना था। लेकिन 18 साल हो जाने के बाद भी ऐसा नहीं हो पाया है। रिपोर्ट में कहा गया कि अपग्रेड ना हो पाने के कारण हेलिकॉप्टर सीमित क्षमता के साथ उड़ान भर रहे हैं और इससे सैन्य अभियानों में समझौता हो रहा है। 

एमआई- 17 हेलिकाप्टरों को लेकर जारी अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा कि 15 साल बाद इन हेलिकॉप्टरों के अपग्रेड के लिए इजरायल की कंपनी के साथ करार किया गया। जिसके तहत अपग्रेड प्रोगाम जुलाई 2018 में शुरू होना था और 2024 तक पूरा हो जाना था। कैग ने कहा कि अब इस अपग्रेडेशन के बाद भी 56 एमआई-17 हेलिकॉप्टर बस ढाई साल तक ही सेवा दे पाएंगे। 

कैग ने अधिक कीमत पर इजरायल की ही एक और कंपनी से रोटैक्स इंजन खरीदने के लिए वायु सेना की आलोचना की। कैग ने बताया कि भारतीय वायु सेना ने ऐसे पांच इंजन खरीदे और हर इंजन के लिए 87.45 लाख रुपये अधिक दिए। इस तरह से इजरायली कंपनी को करीब सवा तीन करोड़ रुपये का फायदा हुआ। कैग ने यह भी बताया कि अधिक पैसे मिलने के बाद भी इजरायली कंपनी ने भारतीय वायु सेना को अनसर्टिफाइड इंजन दे दिए।