अन्नदाता सड़कों पर धरना दे रहे और झूठ टीवी पर भाषण, राहुल गांधी का मोदी पर तंज

आज छठवें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी है, इस बीच राहुल गांधी ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है

Updated: Dec 01, 2020, 05:48 PM IST

Photo Courtesy: The Print
Photo Courtesy: The Print

नई दिल्ली। राहुल गांधी नए कृषि कानूनों को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। किसानों का समर्थन करते हुए राहुल गांधी ने वाराणसी दौरे को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा है। राहुल ने प्रधानमंत्री को घेरते हुए कहा है कि अन्नदाता सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन झूठ टीवी पर भाषण दे रहा है। गौरतलब है कि आज छठवें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों ने आरपार की लड़ाई का संकल्प ले लिया है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल भी किसानों का समर्थन कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने किसानों का समर्थन करते हुए पीएम मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘अन्नदाता सड़कों-मैदानों में धरना दे रहे हैं और ‘झूठ’ टीवी पर भाषण! किसान की मेहनत का हम सब पर कर्ज है। यह कर्ज उन्हें न्याय और हक देकर ही उतरेगा, न कि उन्हें दुत्कार कर, लाठियां मारकर और आंसू गैस चलाकर। जागिए, अहंकार की कुर्सी से उतरकर सोचिए और किसान का अधिकार दीजिए।’

 

 

इससे पहले सोमवार को भी राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दे पर पीएम मोदी को घेरा था। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने किसानों पर अत्याचार किए। पहले काले कानून लाए फिर डंडे चलाए। लेकिन वो भूल गए कि जब किसान आवाज उठाता है तो उसकी आवाज पूरे देश में गूंजती है। राहुल गांधी ने किसानों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ लोगों से 'स्पीकअप फॉर फार्मर्स' अभियान के माध्यम से जुड़ने की अपील भी की है।

 

 

उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, ‘देश का किसान काले कृषि कानूनों के खिलाफ ठंड में, अपना घर-खेत छोड़कर दिल्ली तक आ पहुंचा है। सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं, अन्नदाता किसान या प्रधानमंत्री के पूंजीपति मित्र?'

 

 

बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर हर तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। राहुल गांधी लगातार किसानों के हक़ की बात कर रहे हैं। जबकि हरियाणा के भाजपाई मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जैसे नेता किसानों के आंदोलन में कभी खलिस्तानी तत्वों का हाथ खोजने लगते हैं तो कभी विपक्ष का षड्यंत्र। इस बीच किसान अपनी मांग पर अड़े हैं, वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे।