Rajasthan Municipal Elections: बीजेपी पर भारी पड़ी कांग्रेस, 3 नगर निगमों में कांग्रेस मेयर बनाने की स्थिति में

राजस्थान नगर निगम चुनावों में कांग्रेस को 3 और बीजेपी को 2 निगर निगमों में बहुमत मिला, कामयाब रहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दो निगम, दो मेयर का दांव

Updated: Nov 04, 2020, 07:48 PM IST

Photo Courtesy: The Week
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जयपुर। राजस्थान के तीन बड़े शहरों जयपुर, कोटा और जोधपुर के 6 नगर निगम चुनाव में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस भारी पड़ी है। निगम चुनावों में जयपुर, जोधपुर और कोटा में 560 वार्डों में कांग्रेस ने 261 और बीजेपी ने 242 पर जीत दर्ज की है। 57 वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीतकर सबको चौंका दिया है। 

इस तरह से 6 नगर निगमों में से 3 में कांग्रेस अपना मेयर बनाने की स्थिति में है जबकि दो पर बीजेपी ने कब्जा बरकरार रखकर अपनी लाज बचा ली है।वहीं  एक निगम की सत्ता का फैसला निर्दलीय के हाथ में है। नतीजों के बाद, एक साल पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा खेला गया 'दो निगम-दो मेयर' का दांव चर्चा का विषय बना हुआ है। सीएम अशोक गहलोत का यह दांव कांग्रेस के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ है। 

दरअसल अशोक गहलोत ने राजस्थान जयपुर, कोटा और जोधपुर नगर निगम को दो हिस्सों में बांद दिया था। इस तरह से कोटा और जोधपुर को उत्तर और दक्षिण में जबकि जयपुर को हैरिटेज और ग्रेटर के रूप में बनाया गया था। सूबे के इन नगर निगमें में बीजेपी का लंबे समय से कब्जा रहा है। लेकिन इस बार सीएम गहलोत अपनी राजनीतिक सूझबूझ के जरिए कांग्रेस को जीत दिलाने में कामयाब रहे। कांग्रेस सरकार आते ही पिछले साल 14 अक्टूबर को तीनों शहरों में 3 की जगह 6 नगर निगम बनाए गए। तीनों शहरों में वार्ड भी 221 से बढ़ाकर 560 कर दिए। कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह दांव कैसे मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ है यह नतीजों से साफ़ झलक जाता है। 

जयपुर हैरिटेज वार्ड में कांग्रेस का बोर्ड बना है, वहीं जयपुर ग्रेटर में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला है। जोधपुर के दो निगमों, जोधपुर उत्तर में बीजेपी और दक्षिण में कांग्रेस आगे रही। कोटा के उत्तर नगर निगमों में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस आगे रही और अपना मेयर बनाने की स्थिति में है जबकि कोटा के दक्षिण नगर निगम में कांग्रेस और बीजेपी बराबर सीटें जीती है और इस तरह से निर्दलीय किंगमेकर बनकर उभरे हैं। 

जयपुर हैरिटेज वार्ड में 100 सीटों में से कांग्रेस ने 47 और बीजेपी ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की है। जयपुर ग्रेटर की 150 सीटों में से बीजेपी ने 88,कांग्रेस ने 49 और 13 पर निर्दलीय जीते हैं। इस लिहाज़ से अगर जयपुर नगर निगम का बंटवारा न किया गया होता तो इस  पर आसानी से बीजेपी का कब्ज़ा होता। लेकिन बंटवारा कर अब कांग्रेस ने जयपुर नगर निगम में अपनी जगह बना ली है। 

जोधपुर निगम उत्तर और दक्षिण हिस्से के रूप में अब जाना जाता है। यहां के दोनों निगमों 80-80 वार्ड हैं। जोधपुर उत्तर निगम में 80 में से 53 सीट पर कांग्रेस,19 पर बीजेपी और आठ सीटों पर निर्दलीय चुनाव जीते हैं।  इसी तरह जोधपुर दक्षिण निगम के 80 वार्डों में से 43 पर बीजेपी, 29 पर कांग्रेस और आठ पर निर्दलीय जीते हैं। कोटे का शहरी इलाका बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन यहां के दोनों नगर निगम में कांग्रेस सेंध लगाने में कामयाब रही है। कोटा उत्तर नगर निगम की 70 में से 47 कांग्रेस, 14 बीजेपी और 9 सीटें अन्य को मिली हैं।  ऐसे ही कोटा दक्षिण की 80 नगर निगम सीटों में से 36 कांग्रेस, 36 बीजेपी और 8 निर्दलीय ने जीते हैं। इस तरह से दक्षिण नगर निगम में निर्दलीय किंगमेकर बनकर उभरे हैं और वो कांग्रेस और बीजेपी जिसके साथ जाएंगे मेयर उसी का बनना तय है। 

अशोक गहलोत का नगर निगम के बंटवारों का दांव राजनीतिक तौर पर भी अहमियत रखता है। न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस के भीतर भी उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है। कांग्रेस की जीत में अशोक गहलोत के दांव को कहीं न कहीं पार्टी के अंदर सन्देश के तौर पर लिया गया है कि सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से हटाए  जाने के बाद भी कांग्रेस का जलवा बरकरार है।