कृषि बिल पर राज्य सभा में वोटिंग ना कराने का उपसभापति ने अब बताया नया कारण, वीडियो में गलत निकली पहले बताई गई वजह

उपसभापति ने पहले कहा था, सांसदों के अपनी सीट पर नहीं होने के कारण नहीं कराई वोटिंग। टीवी फुटेज में दिखा सांसद अपनी सीट पर ही थे। अब उपसभापति ने दी नई सफाई।

Updated: Sep 29, 2020, 06:04 AM IST

राज्य सभा में विवादित कृषि विधेयकों पर विपक्ष द्वारा वोटिंग कराने की मांग ठुकरा देने वाले उपसभापति हरिवंश अब अपनी ही सफाई में उलझते जा रहे हैं। पहले उन्होंने कहा था कि विपक्षी सांसदों की वोटिंग की मांग इसलिए नहीं मानी गई क्योंकि वे अपनी सीट पर नहीं बैठे थे। फिर जब राज्य सभा टीवी के फुटेज में सामने आया कि विपक्षी सांसदों ने दरअसल सीट पर रहते हुए ही मत विभाजन की मांग की थी, तो अब उपसभापति नई सफाई दे रहे हैं। वे यह तो मान रहे हैं कि विपक्षी सांसद मत विभाजन की मांग करते समय अपनी सीट पर थे, लेकिन अब उनका कहना है कि संसद में हंगामा हो रहा था, इसलिए मत विभाजन नहीं कराया जा सकता था। हालांकि, हंगामे के बीच उन्होंने ध्वनि मत से विपक्ष के तमाम प्रस्तावों को गिरा दिया और सरकार के विधेयक पारित करवा दिए। 

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राज्य सभा टीवी के फुटेज में सामने आया है कि डीएमके के सांसद तिरुचि शिवा ने दोपहर एक बजकर 10 मिनट पर अपने प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग की थी। इसी तरह सीपीएम के सांसद केके रागेश ने भी एक बजकर 11 मिनट पर अपने प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग की थी। इस दौरान दोनों ही सांसद अपनी सीट पर मौजूद थे। 

इस पर उपसभापति ने कहा कि केके रागेश के मत विभाजन के प्रस्ताव को जब ठुकराया गया उस वक्त वे अपनी सीट पर ना होकर वेल में थे। हालांकि, फुटेज से साफ है कि केके रागेश अपनी सीट पर ही थे। दूसरी तरफ तिरुचि शिवा के मामले में उपसभापति ने भी माना कि बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के अपने प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग करते वक्त वे अपनी सीट पर थे। लेकिन उप-सभापति का कहना है कि इससे ठीक पहले एक सांसद उनके सामने नियमावली को फाड़ रहे थे और कुछ दूसरे सदस्य उनसे कागज छीनने की कोशिश कर रहे थे। उनका कहना है कि मत विभाजन कराने के लिए जितना एक सदस्य का अपनी सीट पर होना जरूरी है, उतना ही संसद में व्यवस्था बने रहना भी जरूरी है। ऐसा न हो तो मत विभाजन नहीं कराया जा सकता। 

उधर, तिरुचि शिवा का कहना है कि मत विभाजन की मांग से ठीक पहले ही उनके माइक की आवाज बंद कर दी गई थी, जिसकी वजह से उन्हें चिल्लाना पड़ा। हालांकि, वे अपनी सीट पर बैठे रहे। उन्होंने कहा कि राज्य सभा में विपक्ष की आवाज एक सुनियोजित तरीके से दबाई गई क्योंकि सरकार के पास बिल पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं था। 

इस बीच केके रागेश ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा है कि एक राज्य सभा सांसद के तौर पर उनके अधिकारों का गैर लोकतांत्रिक तरीके से हनन हुआ है। उन्होंने अपने पत्र मे राज्य सभा के उपसभाति के पक्षपाती रवैये की शिकायत करते हुए राष्ट्रपति से संसद में पारित हो चुके विधेयकों पर हस्ताक्षर ना करने की मांग की। हालांकि, राष्ट्रपति ने विधेयकों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। 

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दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सभा में सरकार की तानाशाही की पोल राज्य सभा टीवी ने ही खोल दी है। 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि भारत में लोकतंत्र की मौत हो चुकी है और ये कृषि कानून किसानों के लिए मृत्यु दंड हैं। 

वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि राज्य सभा टीवी के सबूत सामने आने के बाद अब इस बेशर्म सरकार को अपने झूठ छिपाने के लिए नए झूठ खोजने की जरूरत पड़ रही है। वीडियो फुटेज ने साफ कर दिया है कि सरकार ने झूठ बोला।