Salute to the human spirit: रतन टाटा के जज्बे को सलाम

अपने बीमार कर्मचारी से मिलने मुंबई से पुणे पहुंचे उद्योगपति रतन टाटा, सोशल मीडिया पर हो रही वाहवाही, लोगों ने कहा एक बार फिर दिल जीत लिया सर आपने

Updated: Jan 06, 2021, 11:29 PM IST

Photo Courtesy: twitter
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कहा जाता है कि जितना फलदार वृक्ष होता है उतना ही झुकता है, जी हां पद, पैसा और ओहदा होते हुए भी अगर कोई व्यक्ति इंसानियत निभाए तो तारीफ होना लाजमी है। आज रतन टाटा से जुड़ी एक खबर लगभग हर जगह नजर आ रही है, जिसमें बताया गया है कि कैसे देश के सफलतम उद्योगपतियों में शुमार 83 वर्ष के रतन टाटा डेढ सौ किलोमीटर का सफर तय करके मुंबई से पुणे सिर्फ अपने कर्मचारी की तबीयत का हाल जानने पहुंचे। इतना ही नहीं उन्होंने कर्मचारी के घर चाय नाश्ता किया और परिवार के सदस्यों से बातें भी की।

 उनके इस व्यवहार की सोशल मीडिया पर खूब तारीफ हो रही है। एक संस्था के प्रमुख होने के नाते उन्होंने दो साल से बीमार पूर्व कर्मचारी का हालचाल जाना और उनके परिवार से मुलाकात की। खबर है कि रतन टाटा ने कर्मचारी के परिवार को मदद का आश्वासन भी दिया है।

दरअसल रतन टाटा को पता चला कि उनके कंपनी का पूर्व कर्मचारी करीब दो साल से बीमार है। उन्होनें मुंबई से पुणे जाने का कार्यक्रम बनाया। वे पुणे के फ्रेंड्स सोसाइटी पहुंचे और कर्मचारी की कुशलक्षेम जानी। अब रतन टाटा और कर्मचारी के मुलाकात के फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। 

 

इस मुलाकात की खास बात यह रही की इस दौरान रतन टाटा के साथ किसी तरह की कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी, ना ही मीडिया को इसकी जानकारी दी गई थी।

एक सोशल मीडिया यूजर ने इसकी फोटोज शेयर की हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि समाज के बड़े और जिम्मेदार लोगों को यह सीख लेनी चाहिए कि दौलत ही सब कुछ नहीं होती है। रतन टाटा के इस व्यवहार की जमकर तारीफ की है। लोग उन्हें सलाम कर रहे हैं। किसी ने लिखा है कि सर, मैं आपके सम्मान में अपना सिर झुकाता हूं। तो किसी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि कितनी बार दिल जीतेंगे सर। वहीं फोटो शेयर करने वाले यूजर योगेश देसाई ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि यह वफादार कर्मचारियों के लिए कमिटमेंट था।

रतन टाटा के बारे में कहा जाता है कि वे अपने कर्मचारियों का परिवार की तरह ख्याल रखते हैं, बात चाहे ताज हमले के दौरान पीड़ित कर्मचारियों की हो, या फिर कोरोना लॉकडाउन के दौरान कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी की, उनका रवैया कर्मचारियों के हित में रहा है। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने उद्योगपतियों से अपील की थी कि कर्मचारियों को काम से नहीं निकालें, ये वही लोग हैं जिनकी बदौलत उद्योग तरक्की कर रहे हैं।