शिंदे गुट ही असली शिवसेना, महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर का विवादास्पद फैसला

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि स्पीकर के पास भी पार्टी ने कभी कोई संविधान की कॉपी सबमिट नहीं की। इसलिए असली पार्टी कौन ये तय करने के लिए चुनाव आयोग के पास मौजूद 1999 का संविधान ही योग्य माना जाएगा।

Updated: Jan 10, 2024, 07:07 PM IST

मुंबई। लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को झटका लगा है। महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विधानसभा में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। विधानसभा अध्यक्ष ने अपने विवादास्पद फैसले में कहा कि चुनाव आयोग के सामने पेश किया गया पार्टी का संविधान ही मान्य होगा।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमने चुनाव आयोग से पार्टी के संविधान की कॉपी मांगी। उन्होंने हमें उनके पास मौजूद संविधान की कॉपी मुहैया करवाई। सिर्फ यही संविधान चुनाव आयोग के पास मौजूद है। चुनाव आयोग ने अपने फैसले में भी बताया कि 2018 में संशोधित किया गया संविधान उनके रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है। इसलिए ठाकरे गुट की मांग कि 2018 के संशोधित संविधान को सही माना जायेगा ये स्वीकार नहीं किया जा सकता।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि स्पीकर के पास भी पार्टी ने कभी कोई संविधान की कॉपी सबमिट नहीं की। इसलिए असली पार्टी कौन ये तय करने के लिए चुनाव आयोग के पास मौजूद 1999 का संविधान ही योग्य माना जाएगा। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष ने कहा कि इलेक्शन कॉमिशन के रिकॉर्ड में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद 2018 की जानकारी को ही आधार माना जाएगा।

इसी के साथ अब महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उनके समेत गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार देने से मना कर दिया। यानी एकनाथ शिंदे समेत सभी 16 विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी। ठाकरे गुट के 14 विधायकों को भी अयोग्य ठहराने से स्पीकर राहुल नार्वेकर ने इनकार कर दिया है। विधायकों की सदस्यता बहाल रहने का फैसला आने के बाद शिवसेना कार्यालय बाला साहेब भवन के बाहर शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया है।

स्पीकर के इस फैसले को शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "मैं बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हूं। हमने सुना था 'वही होता है जो मंजूर-ए-खुदा' होता है'...2014 के बाद एक नई परंपरा शुरू हुई है 'वही होता है जो मंजूर-ए-नरेंद्र मोदी और अमित शाह होता है'। यही हम महाराष्ट्र में होते हुए देख रहे हैं...जिस चीज़ को सुप्रीम कोर्ट ने 'अवैध' और 'असंवैधानिक' कहा था, उसे वैध करने का काम हो रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।"