Sitaram Yechury: SC का जजमेंट लोकतंत्र को कमजोर करने वाला
Prashant Bhusan Case: माकपा ने सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को कोर्ट की भूमिका पर खुली और स्वतंत्र चर्चा से रोकने वाला बताया

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मशहूर वकील प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिए जाने में बाद देशभर में एक नई बहस छिड़ गई है। कोर्ट ने शुक्रवार (14 अगस्त) को प्रशांत भूषण के वकील द्वारा पेश किए गए सारे दलीलों को खारिज करते हुए उन्हें अवमानना का दोषी माना है और 20 अगस्त को सजा सुनाने की बात कही है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भारतीय संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करने वाला बताया है।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा है कि भले ही कोई प्रशांत भूषण के ट्वीट्स की व्याख्या से सहमत हो या न हो, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना का दोषी ठहराना खतरनाक है। यह संवैधानिक प्राधिकरण के रुप में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निभाई गई भूमिका की प्रामाणिक आलोचना को अवमानना के दायरे में लाता है।'
Whether one agrees with the precise formulation of Mr Prashant Bhushan’s tweets or not, the Supreme Court Judgement convicting him of Contempt is alarming. It brings into the ambit of Contempt, bona-fide criticism of the role played by Supreme Court as a Constitutional authority pic.twitter.com/OLqFyk51lh
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) August 14, 2020
उन्होंने इस जजमेंट को भारतीय लोकतंत्र में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर खुली और स्वतंत्र चर्चा को रोकने वाला बताया है। येचुरी ने कहा, 'कोर्ट के मौजूदा कार्यशैली और दृष्टिकोण की वास्तविक आलोचना भी अब अवमानना के दायरे में आएगा। भारतीय संविधान अनुच्छेद 19(1)(A) में इस तरह के बयानों को संरक्षण देता है और उसे अवमानना नहीं मानता है। यह जजमेंट भारतीय संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण पर आरोप है कि उन्होंने 27 जून को अपने ट्वीटर हैंडल से सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ़ ट्वीट किया था। प्रशांत ने ट्वीट में लिखा था कि, 'जब आने वाले इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।'