JEE Main NEET Exam 2020: सोनू सूद ने भी कहा परीक्षा टाल देना चाहिए

Sonu Sood: अभिनेता सोनू सूद ने जेईई और नीट की परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से की अपील, संकट घड़ी में छात्रों की परवाह करनी चाहिए

Updated: Aug 26, 2020, 10:31 PM IST

मुंबई। कोरोना के संकट काल में बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद प्रवासी मजदूरों की ढाल और उनका सहारा बन कर उभरे हैं। लेकिन सोनू सूद अब छात्रों की भी आवाज़ बनकर मैदान में उतर गए हैं। सोनू सूद ने प्रधानमंत्री कार्यालय से जेईई और नीट की परीक्षाओं को स्थगित करने की अपील की है। 

बॉलीवुड अभिनेता ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मेरी भारत सरकार से यह विनम्र प्रार्थना है कि मौजूदा परिस्थिति में जेईई और नीट की परीक्षाओं को टाल देना चाहिए। सोनू सूद ने आगे कहा है कि कोरोना की संकट घड़ी में हमें छात्रों की परवाह करनी चाहिए। और उनकी जान को ख़तरे में डालना किसी भी लिहाज़ से सही नहीं है।

अपने एक अन्य ट्विट में सोनू सूद ने कहा है कि परीक्षा में बैठने वाले ज़्यादातर छात्र सुदूर इलाकों से आते हैं। इस समय बिहार के किसी गांव में बाढ़ है तो किसी ज़िले में पूरी बंदी। सोनू सूद ने कहा है कि जितनी ज़रूरी परीक्षाएं हैं उतनी ही ज़रूरी उन युवा कंधों की हिफाज़त करना भी है। सोनू सूद ने कहा है कि जब पूरे विश्व में सबकुछ प्रकृति के सामने ठहर गया है तो परीक्षा को कुछ समय के लिए टाल देना चाहिए। 

देश भर के छात्रों के बीच परीक्षाओं को लेकर भारी तनाव की स्थिति है। कई जगहों से छात्रों के आत्महत्या की खबरें भी आ रही हैं। लेकिन शीर्ष अदालत ने जेईई और नीट की परीक्षाओं के आयोजन को लेकर पहले ही हरी झंडी दिखा दी है। तो वहीं दूसरी तरफ नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने यह साफ तय कर दिया है कि परीक्षाओं का आयोजन तय समय पर ही होगा। 

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लेकिन छात्रों के साथ साथ कई राजनेता परीक्षाओं के आयोजन के खिलाफ हैं।आज की बैठक में शामिल होने वाली ममता बनर्जी परीक्षाओं की मुखालिफत कर रही हैं। राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री से छात्रों की मन की बात सुनने की अपील की है। विवेक तन्खा मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग भी कर चुके हैं। सचिन पायलट भी छात्रों के समर्थन में उतर आए हैं। पायलट ने मोदी सरकार से छात्रों की समस्या का समाधान करने की मांग की है। तो वहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ही पार्टी के विरूद्ध जाते हुए परीक्षाओं के आयोजन के फैसले को नसबंदी के फैसले से तुलना की है।