Supreme Court: राज्यों को रिजर्वेशन लिस्ट में सब कैटेगरी बनाने का अधिकार

Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने 2005 के ईवी चिन्नैया मामले को सीजेआई के पास भेजा, फैसले में कहा गया था कि अनुसूचित जातियों को विभाजित नहीं किया जा सकता

Updated: Aug 28, 2020, 01:41 AM IST

Photo Courtesy: India Today
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी राज्य सरकार के पास रिजर्वेशन देने की शक्ति है तो उसके बार रिजर्वेशन के लिए उप श्रेणियां बनाने की भी शक्ति है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की उप श्रेणियां बनाना रिजर्वेशन लिस्ट के साथ छेड़छाड़ नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने यह टिप्पणी ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार के मामले में एक सहयोगी बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए की। साथ ही कोर्ट ने इस मामले को एक बड़ी बेंच के सामने भेजने से पहले सीजेआई के पास विचार के लिए भेज दिया। 

जस्टिस अरुण मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा, "एक संघीय ढांचे में राज्य सरकार को ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता है कि वो रिजर्वेशन लिस्ट में उप श्रेणियों को प्राथमिकता ना दे पाए।"

बेंच ने यह भी कहा कि ईवी चिन्नैया ने इंदिरा साहनी के फैसले को ढंग से लागू नहीं किया है और ना ही संविधान के अनुच्छेद 342ए में हुए संशोधन पर ढंग से विचार किया है।  ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार मामले में यह कहा गया था कि अनुसूचित जातियां एक समूह हैं और रिजर्वेशन के लिए इन्हें आगे और विभाजित नहीं किया जा सकता है। हालांकि, 2014 में सुप्रीम कोर्ट की एक तीन सदस्यीय बेंच ने कहा था कि चिन्नैया मामला इंदिरा साहनी मामले के साथ मेल नहीं खाता है। तब इस बेंच ने ईवी चिन्नैया मामले को संविधान बेंच के पास भेज दिया था। 

इस तीन सदस्यीय बेंच में जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आरएफ नरीमन शामिल थे। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने टिप्पणी करते हुए कहा था ईवी चिन्नैया मामले को संविधान के अनुच्छेद 388 के प्रकाश में फिर से देखने की जरूरत है।