मोदी सरकार में दोगुनी हुई दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या

Daily Wagers Suicide: देश में बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या करनेवालों की तादाद बढ़ी, 2019 में 25 साल बाद बेरोजगारों की आत्महत्या का आंकड़ा दहाई में

Updated: Sep 07, 2020, 04:35 AM IST

Photo Courtesy: Swaraj Express
Photo Courtesy: Swaraj Express

नई दिल्ली। भारत में दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या का आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ रहा है। 2019 में देश में हुईं कुल आत्महत्याओं में दिहाड़ी मजदूरों का हिस्सा 23.4 प्रतिशत रहा। प्रधानमंत्री मोदी के हाई कार्यकाल की तुलना करें तो यह छह साल पहले के मुकाबले दोगुना है। देश में 2019 में कुल 139,123 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें 32,563 लोग दिहाड़ी मजदूर थे। 

राज्यों की अगर बात करें तो तमिलनाडु में सबसे अधिक 5,186 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। उसके बाद महाराष्ट्र में 4,128, मध्य प्रदेश में 3,964, तेलंगाना में 2,858 और केरल में 2,809 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। 

ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने जारी किए हैं। संस्था ने पहली बार 2014 में दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या का आंकड़ा देना शुरू किया था। उस साल कुल आत्महत्याओं में दिहाड़ी मजदूरों का हिस्सा 12 प्रतिशत था। 2015 में बढ़कर यह 17.8 फीसदी, 2016 में 19.2 फीसदी, 2017 में 22.1 प्रतिशत और 2018 में बढ़कर 22.4 प्रतिशत हो गया। 

Click: Farmers Suicide: 2019 में 42 हजार किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने की आत्महत्या

दूसरी तरफ 2019 में देश में जितने लोगों ने आत्महत्या की उसमें से बेरोजगारों का हिस्सा 10.1 प्रतिशत रहा। 25 सालों में यह पहली बार हुआ है जब बेरोजगारों की आत्महत्या का हिस्सा दो अंको में पहुंचा हो। 2019 में देश में 14,019 बेरोजगारों ने आत्महत्या की। यह पिछले साल के मुकाबले 8.37 प्रतिशत अधिक है। 2018 में 12,936 बेरोजगारों ने आत्महत्या की थी।