पराली जलाना अब क्राइम नहीं, एक और मांग के आगे झुकी सरकार, किसानों के रुख में भी नरमी

केंद्र सरकार ने पराली जलाने को किया अपराध से बाहर, किसानों ने बड़े मन का परिचय देते हुए ट्रैक्टर रैली को टालने का किया ऐलान, एमएसपी पर सरकार को सोच विचार करने का दिया समय

Updated: Nov 27, 2021, 01:11 PM IST

नई दिल्ली। दिल्ली बॉर्डर पर चल रहा किसानों का सत्याग्रह रंग लाना शुरू कर दिया है। 700 किसानों की मौत के बावजूद उनका दृढ़ निश्चय के आगे सत्ता हठ बौना साबित हो रहा है। केंद्र की मोदी सरकार को आज फिर किसानों की एक अहम मांग के सामने झुकना पड़ा है। केंद्र ने ऐलान किया है कि अब पराली जलाना अपराध नहीं होगा। केंद्र के इस फैसले के बाद किसानों ने भी बड़े मन का परिचय देते हुए ट्रैक्टर रैली टालने का ऐलान किया है। हालांकि, किसानों ने यह भी कहा है कि एमएसपी की गारंटी लिए बगैर वे घर नहीं लौटेंगे।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'सरकार ने किसानों द्वारा पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। किसानों की लगभग सभी मांगें पूरी हो चुकी हैं। ऐसे में उन्हें अब अपने-अपने घरों को वापस लौट जाना चाहिए। किसानों को एमएसपी देने के लिए पीएम मोदी ने कमेटी बनाने की घोषणा की है और उसकी रिपोर्ट आते ही इस मुद्दे पर भी कार्रवाई की जाएगी।'

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कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान खुद पीएम मोदी कर चुके हैं और संसद में बिल लाने की भी प्रक्रिया शुरू हो गयी है। ऐसे में मैं मानता हूं कि किसानों के आंदोलन का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। किसान भी अब बड़े मन का परिचय दें और आंदोलन की समाप्ति करें।' उधर किसान नेताओं ने आज देर तक चली बैठक के बाद 29 नवंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टालने का निर्णय लिया है। 

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल सिंह ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा की संयुक्त किसान मोर्चा 29 नवंबर को संसद में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली नहीं करेगा। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि बगैर एमएसपी के मोर्चा वापस नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, 'हमने ट्रैक्टर रैली स्थगित किया है उसे खत्म नहीं किया है। हमने पीएम मोदी को जो पत्र भेजा है उसके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। 4 दिसंबर डेडलाइन है उसके बाद हम बैठक कर आगे की रणनीति साझा करेंगे।'

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उन्होंने यह भी कहा कि आज जो केंद्र सरकार ने घोषणाएं की हम किसान संगठन सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि कई अन्य मुद्दे भी हैं, मसलन जो किसान शहीद हुए हैं, लखीमपुर खीरी मामले में किसान जेल भेजे जा रहे हैं। हम चाहते हैं कि सरकार हमारे साथ इन सभी मुद्दों पर बात करे। लेकिन अगर 4 दिसंबर तक इस संबंध में को सकारात्मक फैसला नहीं हुआ तो हम आगे की रणनीति तय करेंगे और आंदोलन को तेज करने के लिए बाध्य होंगे।