UPSC Jihad: सुदर्शन टीवी के यूपीएससी जिहाद शो पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

Supreme Court: सुरेश चव्हाणके के टीवी शो को सुप्रीम कोर्ट ने बताया उन्माद पैदा करने वाला कार्यक्रम, कोर्ट ने कहा मीडिया उन्माद को फ़ैलाने से बचे

Updated: Sep 16, 2020, 08:12 AM IST

Photo Courtesy : opindia
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नई दिल्ली। सप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुदर्शन न्यूज़ के उन दोनों एपिसोड के प्रसारण पर रोक लगा दी जिसमें मुस्लिम समुदाय पर यूपीएससी में कथित घुसपैठ का आरोप लगाया जाना था। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्य बेंच ने इसे मुस्लिम समुदाय को अपमानित करने वाला बताया है। बिंदास बोल नामक यह कार्यक्रम आज और कल प्रसारित होने वाला था। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई अब 17 सितंबर को होगी।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदू मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ की तीन सदस्य बेंच ने सुनवाई के दौरान कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाए हुए कहा कि पहली नज़र में ही यह कार्यक्रम मुस्लिम समुदाय को अपमानित करने वाला प्रतीत हो रहा है। यह कार्यक्रम एक विशेष समुदाय के प्रति दुर्भावना से पूर्णतः प्रेरित नज़र आ रहा है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा है कि इस कार्यक्रम को देखने पर ही उन्माद पैदा करने वाला प्रतीत होता है कि कैसे एक समुदाय प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश कर रहा है।

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यह एपिसोड आयोग पर भी सवाल खड़ा करता है 
सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा न सिर्फ यह कार्यक्रम मुस्लिम समुदाय के खिलाफ लोगों को उकसाने वाला प्रतीत हो रहा है बल्कि यह संघ लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़ा करने की कोशिश कर रहा है। यह कार्यक्रम तथ्यों के बगैर ही यूपीएससी की चयन प्रक्रिया को सवालों के घेरे में लाने की चेष्टा कर रहा है।

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मीडिया में स्वनियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए 
शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि मीडिया को किसी भी तरह के उन्माद को फ़ैलाने से बचना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मीडिया में स्वनियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए। उधर सुदर्शन टीवी की ओर से पेश हुए वकील श्याम दीवान ने कहा कि चैनल इसे राष्ट्रहित से जुड़ी एक अहम और खोजी खबर मानता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आपका मुवक्किल देश का अहित करने के सिवा कुछ नहीं कर रहा है। वह यह स्वीकार नहीं कर पा रहा है कि भारत एक विविधता से परिपूर्ण संस्कृति वाला देश है।

शो के एक प्रोमो में सुदर्शन के संपादक ने यूपीएससी में चयनित जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों और मुसलामानों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल करने के मामले में विश्वविद्यालय ने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर कार्रवाई करने की मांग की थी। आईपीएस एसोसिएशन ने भी ऐसी पत्रकारिता की निंदा की है।