तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत, 69 दिन बाद बाहर आएंगी तीस्ता

सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात पुलिस ने पीएम मोदी के खिलाफ फर्जी सबूत गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया था

Updated: Sep 02, 2022, 10:39 AM IST

नई दिल्ली। गुजरात दंगों से जुड़े साजिश मामले में एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। शुक्रवार को चीफ जस्टिस यूयू ललित की बेंच में करीब 1 घंटे 10 मिनट से ज्यादा देर तक सुनवाई हुई। आदेश सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि तीस्ता गिरफ्तारी के बाद से या तो रिमांड या कस्टडी में रहीं। उन्हें अब जेल में रखा नहीं जा सकता है।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई CJI यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु भट की बेंच ने की। गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पैरवी कर रहे थे, जबकि तीस्ता की पैरवी वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कर रहे थे। SG तुषार ने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट ने सही तौर पर मामला उठाया कि हाईकोर्ट ने इतना समय क्यों लगाया। मैंने सरकारी वकील से विस्तार से बात की। हाईकोर्ट ने इस मामले में वही किया जो आम तौर पर मामलों में करता है। उन्होंने कहा कि तीन अगस्त को हाईकोर्ट के पास 168 केस लगे थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि तीस्ता का मामला जब तक हाईकोर्ट के पास है, तब तक उन्हें अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने कहा, 'सरकार ने हमें बताया कि हाईकोर्ट को ही मामला सुनने दिया जाए। जहां पर राज्य सरकार को छह सप्ताह का समय जवाब के लिए दिया गया। हम मामले कि योग्यता पर नहीं जाते और मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए जमानत देते हैं, क्योंकि महिला दो माह से जेल में है। दूसरा यह कि सात दिन जांच एजेंसी को पूछताछ का मौका मिला होगा।

सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा कि, आपको तीस्ता से हिरासत में पूछताछ में क्या मिला? तुषार मेहता ने कहा, तीस्ता इंटलीजेंट हैं शायद कुछ बताया नहीं होगा। CJI ने कहा, कितने दिन की पुलिस हिरासत थी। तुषार ने कहा, सात दिन की। वो काफी चतुर महिला है  उसने किसी सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने पूछा- तो उसने क्या जवाब दिया? इस पर एसजी ने कहा- उसने कोई सहयोग नहीं किया। अगर सुप्रीम कोर्ट दखल देता है तो ये गलत मिसाल होगी, हाईकोर्ट को तय करने दें।

तुषार मेहता ने यह भी कहा कि, याचिकाकर्ता द्वारा कुल 8 करोड़ जमा किए गए जिसमें से शराब, दुबई की दुकानों से खरीदारी हुई। ऐसा नहीं है कि यह बिना सबूत का मामला है, यह सबूत का मामला है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दखल देना चाहिए। तीस्ता सीतलवाड की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि, 124 लोगों को उम्रकैद हुई है। ये कैसे कह सकते हैं कि गुजरात में कुछ नहीं हुआ। ये सब एक उद्देश्य के लिए है। ये चाहते हैं कि तीस्ता ताउम्र जेल से बाहर ना आए। 20 साल से सरकार क्या करती रही। ये हलफनामे 2002-2003 के हैं। तो ये जालसाजी कैसे हो गए?' 

कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि, मैंने जज, न्यायपालिका पर आरोप नहीं लगाया है। मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूं। मुझे कानून अधिकारी से इसकी उम्मीद नहीं है। यह सब प्रेरित है। अगर वे टाइप किए हुए भी हैं, तो इसमें जालसाजी कैसे आ सकती है? यदि जालसाजी आती है तो जालसाजी की शिकायत करने वाले व्यक्ति को न्यायालय अवश्य आना चाहिए। लेकिन राज्य यहां आकर कह रहा है। यह दुर्भावनापूर्ण है, प्रेरित है और तीस्ता ने जो किया वह जनता के बड़े हित में है। इस वजह से उनकी गिरफ्तारी हुई।