स्वपन दासगुप्ता को एक बार फिर राज्यसभा के लिए किया गया मनोनीत, कांग्रेस ने इस फैसले को बताया लोकतंत्र के साथ मज़ाक

स्वपन दासगुप्ता के अलावा राष्ट्रपति ने मशहूर वकील महेश जेठमलानी को भी मनोनीत किया है, जेठमलानी को रघुनाथ महापात्र के निधन से खाली हुई सीट पर मनोनीत किया गया है

Updated: Jun 02, 2021, 08:06 AM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा देने वाले स्वपन दासगुप्ता एक बार फिर ऊपरी सदन जाएंगे। बंगाल में चुनाव हारने के बाद दासगुप्ता को दोबारा राष्ट्रपति ने संसद के ऊपरी सदन के लिए मनोनीत किया है। दासगुप्ता के अलावा मशहूर वकील महेश जेठमलानी को भी राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। 

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स्वपन दासगुप्ता को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन बंगाल में न तो बीजेपी के अरमान पूरे हुए और न ही दासगुप्ता चुनाव जीतने में कामयाब हो पाए। जिसके बाद मंगलवार को दासगुप्ता की सदन में वापसी पर मुहर लगा दी गई। स्वपन दासगुप्ता की राज्यसभा में सदस्यता की अवधि 22 अप्रैल 2022 तक समाप्त होनी है, लिहाज़ा वे तब तक राज्यसभा के सदस्य बने रहेंगे। 

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स्वपन दासगुप्ता की सदन वापसी पर कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि 1952 में राज्यसभा के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने दासगुप्ता की सदन वापसी को लोकतंत्र के साथ मज़ाक करार दिया है। अरुण यादव ने दासगुप्ता की वापसी के आदेश को साझा करते हुए कहा है कि क्या लोकतंत्र के साथ मजाक चल रहा है ?स्वपन दासगुप्ता जी ने मनोनीत राज्यसभा सांसद रहते हुए भाजपा से विधायक का टिकट लिया,जब मीडिया में खबरें आई तो सांसदी छोड़कर विधानसभा चुनाव लड़ लिए , फिर चुनाव हार गए तो राष्ट्रपति जी ने फिर से मनोनीत कर राज्यसभा सांसद बना दिया। 

स्वपन दासगुप्ता पेशे से पत्रकार हैं। उन्होंने 1986 में द स्टेट्समैन अखबार से पत्रकारिता की शुरूआत की और इसके बाद देश के कई जानेमाने अंग्रेजी अखबारों से जुड़े रहे। फरवरी 2015 में लार्सन एंड टुब्रो के निदेशक मंडल में भारत के यूनिट ट्रस्टी के रूप में उनका नामांकन विवादों में रहा। बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के बावजूद स्वपन दासगुप्ता का राज्य सभा में मनोनीत सदस्य के रूप में आना विपक्षी दलों के लिए काफी हैरान करनेवाला है।