TDP ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें, समर्थन के बदले लोकसभा स्पीकर समेत 5 मंत्रालयों की रखी डिमांड

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत ना मिलने की वजह से अब केंद्र में सरकार बनाने के लिए उसे टीडीपी और जेडीयू जैसे अपने सहयोगी पार्टियों पर निर्भर होना पड़ रहा है।

Updated: Jun 05, 2024, 01:53 PM IST

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद अब बारी है केंद्र में सरकार बनाने को लेकर समीकरण साधने की। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को बहुमत नहीं मिली है। भाजपा बहुमत के आंकड़े से 32 सीटें पीछे है। ऐसे में अगर उसे अब सत्ता में वापसी करनी है तो एनडीए के घटक दल टीडीपी और जेडीयू जैसों पर निर्भर रहना होगा। हालांकि, इन दलों की शर्तें भाजपा की मुश्किलें बढ़ाती नजर आ रही है।

मीडिया सूत्रों के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा के समक्ष 6 से 7 मांगें रखी है। TDP की पहली मांग ये है कि लोकसभा स्पीकर का पद उसे मिले। इससे पहले जब 1998 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब टीडीपी के पास स्पीकर पद था। यह पद इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि सरकार बनने के बाद बीजेपी खुद का कुनबा बढ़ाने की कोशिश कर सकती है। ऐसे में सियासी तोड़फोड़ भी देखने को मिल सकती है। इसी वजह से एनडीए के सहयोगी अभी से अलर्ट मोड पर हैं। स्पीकर की भूमिका दलबदल विरोधी कानून में बहुत महत्वपूर्ण है।

मीडिया सूत्रों के अनुसार चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी को समर्थन देने के लिए अपनी पार्टी से लोकसभा अध्यक्ष और अपने हर एक तीन सांसद पर एक मंत्री पद की मांग की है। नायडू की पार्टी के पास 16 सांसद हैं यानी कम से कम पांच मंत्रीपद। इनमें सड़क परिवहन, शिक्षा, सूचना प्रसारण जैसे अहम विभाग शामिल हैं। इसके अलावा टीडीपी की सबसे बड़ी मांग आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेट्स देने का है। यह उनकी काफी पुरानी मांग रही है।

बता दें कि स्पेशल स्टेटस का दर्जा ऐसे राज्यों को दिया जाता है, जो ऐतिहासिक रूप से देश के बाकी हिस्सों की तुलना में पिछड़े हुए हैं। तेलंगाना के अलग होने के बाद से ही चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल स्टेटस यानी विशेष राज्य का दर्जा मांगते रहे हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि हैदराबाद के तेलंगाना के पास जाने के बाद आंध्र प्रदेश की आर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है।